'...तो बड़ा किसान आंदोलन खड़े होते देर नहीं लगेगी', राकेश टिकैत का केंद्र पर निशाना
<p style="text-align: justify;">निरस्त हो चुके कृषि कानूनों को लेकर एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई है. दरअसल, तीन कृषि कानूनों का अध्ययन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित कमेटी इसे पूरी तरह निरस्त नहीं करने के पक्ष में थी. समिति ने इसके बजाय निर्धारित मूल्य पर फसलों की खरीद का अधिकार राज्यों को देने और आवश्यक वस्तु कानून को खत्म करने का सुझाव दिया था. समिति के तीन सदस्यों में से एक अनिल घनवट ने सोमवार को रिपोर्ट जारी करते हुए यह बात कही.</p> <p style="text-align: justify;">इसको लेकर अब किसान नेता राकेश टिकैत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता टिकैत ने कहा, ''तीन कृषि कानूनों के समर्थन में घनवट ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट सार्वजनिक कर साबित कर दिया कि वे केंद्र सरकार की ही कठपुतली थे.''</p> <blockquote class="twitter-tweet"> <p dir="ltr" lang="hi">तीन कृषि कानूनों के समर्थन में घनवट ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट सार्वजनिक कर साबित कर दिया कि वे केंद्र सरकार की ही कठपुतली थे। इसकी आड़ में इन बिलों को फिर से लाने की केंद्र की मंशा है तो देश में और बड़ा किसान आंदोलन खड़े होते देर नहीं लगेगी।<a href="https://twitter.com/PMOIndia?ref_src=twsrc%5Etfw">@PMOindia</a> <a href="https://twitter.com/ANI?ref_src=twsrc%5Etfw">@ANI</a> <a href="https://twitter.com/PTI?ref_src=twsrc%5Etfw">@PTI</a> <a href="https://twitter.com/MHA?ref_src=twsrc%5Etfw">@MHA</a></p> — Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) <a href="https://twitter.com/RakeshTikaitBKU/status/1506173320630206464?ref_src=twsrc%5Etfw">March 22, 2022</a></blockquote> <p style="text-align: justify;"> <script src="https://platform.twitter.com/widgets.js" async="" charset="utf-8"></script> </p> <p style="text-align: justify;">उन्होंने आगे कहा, ''इसकी आड़ में इन बिलों को फिर से लाने की केंद्र की मंशा है तो देश में और बड़ा किसान आंदोलन खड़े होते देर नहीं लगेगी.''</p> <p style="text-align: justify;">पुणे के किसान नेता अनिल घनवट ने कहा कि उन्होंने तीन मौकों पर समिति की रिपोर्ट जारी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखा था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिलने के कारण वह इसे खुद जारी कर रहे हैं. प्रेस कॉन्फ्रेंस में समिति के दो अन्य सदस्य अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी तथा कृषि अर्थशास्त्री प्रमोद कुमार जोशी मौजूद नहीं थे.</p> <p style="text-align: justify;">समिति ने तीन कृषि कानूनों पर 19 मार्च 2021 को अपनी सिफारिशें दी थीं, जिसमें अन्य बातों के अलावा किसानों को सरकारी मंडियों के बाहर निजी कंपनियों को कृषि उपज बेचने की अनुमति देने की बात कही गई.</p> <p style="text-align: justify;">उत्तर प्रदेश और पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले पिछले साल नवंबर में <a title="नरेंद्र मोदी" href="https://ift.tt/SCz1DqL" data-type="interlinkingkeywords">नरेंद्र मोदी</a> नेतृत्व वाली सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया था. घनवट ने कहा कि समिति ने राज्यों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को कानूनी रूप देने की स्वतंत्रता समेत कानूनों में कई बदलावों का भी सुझाव दिया था.</p> <p style="text-align: justify;"><strong><a title="दिल्ली में अब तीन नहीं एक होगा नगर निगम! बिल को केंद्रीय कैबिनेट को मंजूरी, भड़की AAP" href="https://ift.tt/1Rf7scO" target="">दिल्ली में अब तीन नहीं एक होगा नगर निगम! बिल को केंद्रीय कैबिनेट को मंजूरी, भड़की AAP</a></strong></p> TAG : imdia news,news of india,latest indian news,india breaking news,india,latest news,recent news,breaking news,news SOURCE : https://ift.tt/mOsQAjq
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