Congress President Election: महात्मा गांधी के उम्मीदवार को नेताजी से मिली थी मात, कौन रहा सबसे लंबे समय तक कांग्रेस अध्यक्ष?
<p style="text-align: justify;"><strong>Congress President Election News:</strong> कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए सोमवार (17 अक्टूबर) को मतदान होगा. 19 अक्टूबर को पार्टी के नए प्रमुख के नाम का एलान किया जाएगा. कांग्रेस चीफ की दौड़ में वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) और शशि थरूर (Shashi Tharoor) हैं. इस बार गांधी परिवार (Gandhi Family) का कोई भी सदस्य चुनाव नहीं लड़ रहा है. जानिए कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव का इतिहास.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>1.</strong> पार्टी के तकरीबन 137 साल के इतिहास में छठी बार ये तय करने के लिए चुनावी मुकाबला होगा कि कौन पार्टी के इस अहम पद की कमान संभालेगा. इसके साथ ही सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव न लड़ने पर 24 वर्ष बाद गांधी परिवार के बाहर का कोई व्यक्ति कांग्रेस अध्यक्ष बनेगा. पार्टी अध्यक्ष पद के लिए मतदान सोमवार (17 अक्टूबर) को होगा और मतगणना बुधवार (19 अक्टूबर) को होगी.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>2.</strong> कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर इस मुकाबले में एक-दूसरे के सामने हैं और वे प्रदेश कांग्रेस समिति (पीसीसी) के 9,000 से अधिक ‘डेलीगेट्स’ (निर्वाचित मंडल के सदस्य) को लुभाने के लिए विभिन्न राज्यों का दौरा कर रहे हैं. खड़गे को इस पद के लिए पसंदीदा व 'अनाधिकारिक रूप से आधिकारिक उम्मीदवार' माना जा रहा है और बड़ी संख्या में वरिष्ठ नेता उनका समर्थन कर रहे हैं जबकि थरूर ने अपने आप को बदलाव लाने वाले उम्मीदवार के तौर पर पेश किया है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>3.</strong> शशि थरूर ने अपने प्रचार के दौरान असमान मुकाबला होने के मद्दे को उठाया है जबकि दोनों उम्मीदवारों और पार्टी ने कहा है कि गांधी परिवार निष्पक्ष है और कोई ‘आधिकारिक उम्मीदवार नहीं है. कांग्रेस की संचार इकाई के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने कहा, "यह असल में छठी बार है कि कांग्रेस के 137 साल के इतिहास में अध्यक्ष पद के लिए आंतरिक रूप से चुनाव हो रहा है." उन्होंने कहा, "मीडिया ने 1939, 1950, 1997 और 2000 का उल्लेख किया है, लेकिन 1977 में भी चुनाव हुए थे जब कासू ब्रह्मानंद रेड्डी निर्वाचित हुए थे."</p> <p style="text-align: justify;"><strong>4.</strong> जयराम रमेश ने कहा कि उनका हमेशा से ऐसे पदों के लिए आम सहमति बनाने के कांग्रेस के मॉडल में विश्वास रहा है. उन्होंने कहा कि नेहरू युग के बाद इस रुख को के. कामराज ने मजबूत किया था. उन्होंने विस्तारपूर्वक जानकारी दिए बगैर कहा कि, "जब कल हमारे सामने चुनावी दिन होगा तो यह विश्वास और मजबूत हो जाएगा. इसके कारण काफी स्पष्ट हैं." कांग्रेस ने दावा किया है कि उसके आंतरिक लोकतंत्र की किसी अन्य पार्टी से कोई बराबरी नहीं है और वह इकलौती पार्टी है जिसके पास संगठनात्मक चुनावों के लिए केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण है. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>5.</strong> कांग्रेस के 1939 के अध्यक्ष पद के चुनाव में महात्मा गांधी के उम्मीदवार पी. सीतारमैया, नेताजी सुभाष चंद्र बोस से हार गए थे. फिर 1950 में आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस में अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ था और उस समय पुरुषोत्तम दास टंडन व आचार्य कृपलानी के बीच मुकाबला था. आश्चर्यजनक रूप से सरदार वल्लभभाई पटेल के नजदीकी माने जाने वाले टंडन, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पसंद के उम्मीदवार से चुनाव जीत गए थे.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>6.</strong> इसके बाद 1977 में देवकांत बारुआ के इस्तीफे के कारण कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ था, जिसमें के. ब्रह्मानंद रेड्डी ने सिद्धार्थ शंकर रे और कर्ण सिंह को शिकस्त दी थी. इसके बाद पार्टी अध्यक्ष पद का अगला चुनाव 20 साल बाद 1997 में हुआ. तब सीताराम केसरी, शरद पवार और राजेश पायलट के बीच त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था. महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों को छोड़कर कांग्रेस की सभी प्रदेश इकाइयों ने केसरी का समर्थन किया था. उन्होंने भारी मतों से जीत हासिल की थी.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>7.</strong> अध्यक्ष पद का अगला चुनाव 2000 में हुआ था और इस बार सोनिया गांधी के सामने जितेंद्र प्रसाद थे. प्रसाद को सोनिया गांधी के हाथों करारी शिकस्त मिली थी. आगामी चुनाव निश्चित तौर पर ऐतिहासिक होगा क्योंकि नया अध्यक्ष, सोनिया गांधी का स्थान लेगा जो सबसे लंबे समय तक पार्टी की अध्यक्ष रहीं. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>8.</strong> आजादी के बाद सितारमैया ने 1948 में एआईसीसी प्रमुख का पद संभाला था और अभी तक 17 लोगों ने पार्टी की अगुवाई की है, जिनमें से पांच गांधी परिवार के सदस्य रहे हैं. सितारमैया से पहले 1947 में आचार्य कृपलानी अध्यक्ष रहे. 1950 में टंडन पार्टी प्रमुख बने, जिसके बाद 1951 और 1955 के बीच नेहरू अध्यक्ष बने. नेहरू के बाद यू एन ढेबर ने पार्टी की कमान संभाली थी.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>9.</strong> इंदिरा गांधी 1959 में कांग्रेस अध्यक्ष बनीं और उनके बाद एन एस रेड्डी ने 1963 तक यह जिम्मेदारी संभाली. के. कामराज 1964-67 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे जबकि एस निजालिंगप्पा 1968-69 तक इस पद पर रहे. जगजीवन राम 1970-71 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे और फिर डॉ. शंकर दयाल शर्मा 1972-74 तक इस पर पर रहे. देवकांत बारुआ 1975-77 तक पार्टी के अध्यक्ष रहे. फिर 1977-78 में के. ब्रह्मानंद रेड्डी कांग्रेस अध्यक्ष रहे.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>10.</strong> इंदिरा गांधी फिर कांग्रेस अध्यक्ष बनीं और 1978-84 तक पार्टी की कमान उनके हाथ में रही. 1985 से 1991 तक उनके बेटे राजीव गांधी कांग्रेस अध्यक्ष रहे. इसके बाद 1992-96 तक पी वी नरसिंह राव कांग्रेस अध्यक्ष रहे. इसके बाद केसरी ने कमान संभाली और उनके बाद सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) पार्टी अध्यक्ष बनीं. 2017 में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अध्यक्ष बने और फिर 2019 में सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनीं. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें- </strong></p> <p style="text-align: justify;"><strong><a title="Congress President Election: 'अब मतपत्र पर लगेगा टिक का निशान', शशि थरूर की टीम ने उठाया था मुद्दा" href="https://ift.tt/wuS13mc" target="_self">Congress President Election: 'अब मतपत्र पर लगेगा टिक का निशान', शशि थरूर की टीम ने उठाया था मुद्दा</a></strong></p> TAG : imdia news,news of india,latest indian news,india breaking news,india,latest news,recent news,breaking news,news SOURCE : https://ift.tt/ledVvg3
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