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कर्नाटक में हायर एजुकेशन की क्लासेज में 10 साल के अंदर 1.1 पर्सेंट से 15.8 प्रतिशत हुई मुस्लिम लड़कियों की संख्या

कर्नाटक में हायर एजुकेशन की क्लासेज में 10 साल के अंदर 1.1 पर्सेंट से 15.8 प्रतिशत हुई मुस्लिम लड़कियों की संख्या
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<p style="text-align: justify;"><strong>Karnataka Hijab Row:</strong> कर्नाटक में हिजाब बैन को लेकर गुरुवार 13 अक्टूबर 2022 को फैसले का दिन था लेकिन मामले को लेकर जजों की एक राय नहीं बनी और फैसला नहीं सुनाया गया. जस्टिस सुधांशु धूलिया ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि उनके लिए मुद्दा इस बात पर केंद्रित था कि एक लड़की को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. उसकी शिक्षा से एक लड़की वंचित करके क्या हम उसके जीवन को बेहतर बना रहे हैं?</p> <p style="text-align: justify;">जस्टिस धूलिया ने अपने फैसले में कहा कि एक प्री-यूनिवर्सिटी की स्कूली लड़की को स्कूल के गेट पर अपना हिजाब उतारने के लिए कहना उसकी निजता और गरिमा पर आक्रमण है और यह धर्मनिरपेक्ष शिक्षा से वंचित करने के समान होगा. जस्टिस धूलिया की इस टिप्पणी पर विवाद भी हो रहा है. तो वहीं इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक में प्री यूनिवर्सिटी की स्कूली लड़कियों की संख्या में इजाफा हुआ है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>10 साल में 1.1 से 15.8 प्रतिशत हुई लड़कियों की संख्या</strong></p> <p style="text-align: justify;">कर्नाटक में हायर एजुकेशन की क्&zwj;लासेज में 10 साल के अंदर मस्लिम लड़कियों की संख्या 1.1 पर्सेंट से 15.8 प्रतिशत हो गई है. साल 2007-2008 में 1.1 प्रतिशत से साल 2017-2018 में बढ़कर 15.8 प्रतिशत हो गई. तो वहीं पूरे भारत में ये वृद्धि 6.7 प्रतिशत से बढ़कर 13.5 प्रतिशत थी. यही नहीं राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ 5 याचिकाकर्ताओं में से दो के अलावा पीयूसी कक्षाओं की किसी भी मुस्लिम छात्रा ने अब तक दक्षिण कन्नड और उडुपी जिलों में ट्रांसफर सर्टिफिकेट के लिए आवेदन भी नहीं किया है. जबकि फरवरी के महीने में इन्ही जिलों से मुद्दे को उठाया गया था.</p> <p style="text-align: justify;">और तो और दक्षिण कन्नड़ और उडुपी के पीयू (प्री-यूनिवर्सिटी) बोर्ड के उप निदेशकों के अनुसार, अप्रैल 2022 में आयोजित अंतिम परीक्षा में ये सभी शामिल भी हुईं थी.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>कॉलेज स्तर पर आया आंकड़ों में बदलाव</strong></p> <p style="text-align: justify;">हालांकि कॉलेज स्तर की बात की जाए तो कम से कम 110 छात्राओं ने मैंगलोर विश्वविद्यालय में ट्रांसफर सर्टिफिकेट के लिए मांग की है. जिनमें से 10 छात्राओं ने किसी और जगह पर एडमिशन लेने की पुष्टि भी की. इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि जिनको टीसी चाहिए उन्हें बिना देरी किए हुए टीसी जारी की जाए. तो वहीं मई के महीने में मैंगलोर यूनिवर्सिटी से जुड़े कॉलेजों में राज्य सरकार के फैसले नो हिजाब को लागू करने पर जोर दिया गया और घोषणा कर दी गई कि जिन लड़कियों को हिजाब पहनना है वो टीसी ले सकती हैं और किसी दूसरे कॉलेज में एडमिशन ले सकती हैं जहां पर हिजाब पहनने पर प्रतिबंध नहीं है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें: <a title="मां की मदद, सफाई, कपड़े धोना... बहुत मुश्किल उठा स्&zwj;कूल जाती हैं लड़कियां, जानें कौन हैं यह बात कहने वाले जस्टिस सुधांशु धूलिया" href="https://ift.tt/qolCX89" target="_self">मां की मदद, सफाई, कपड़े धोना... बहुत मुश्किल उठा स्&zwj;कूल जाती हैं लड़कियां, जानें कौन हैं यह बात कहने वाले जस्टिस सुधांशु धूलिया</a></strong></p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें: <a title="Karnataka Hijab Row: हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में बंटा दोनों जजों का फैसला, अब बड़ी बेंच को सौंपा जाएगा मामला" href="https://ift.tt/BNpTfxt" target="_self">Karnataka Hijab Row: हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में बंटा दोनों जजों का फैसला, अब बड़ी बेंच को सौंपा जाएगा मामला</a></strong></p> TAG : imdia news,news of india,latest indian news,india breaking news,india,latest news,recent news,breaking news,news SOURCE : https://ift.tt/zC69kGH

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