
<p style="text-align: justify;"><strong>SBI Hikes MCLR:</strong> सरकारी क्षेत्र की बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने एक बार फिर कर्ज महंगा कर दिया है. एसबीआई ने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट यानी एमसीएलआर (MCLR) को 20 बेसिस प्वाइंट बढ़ाने का ऐलान किया है. एसबीआई की नई दरें आज 15 अगस्त , 2022 से लागू हो गई है. दरअसल 5 अगस्त, 2022 को आरबीआई ने लगातार तीसरी बार रेपो रेट बढ़ाने का ऐलान किया था जिसके बाद निजी क्षेत्र से लेकर सरकारी बैंकों द्वारा कर्ज महंगा किया जा रहा है. एसबीआई द्वारा MCLR बढ़ाने के बाद होम लोन, कार लोन, एजुकेशन लोन और पर्सनल लोन समेत कई तरह के लोन अब महंगे हो जायेंगे साथ ही बैंक के ग्राहकों को महंगी ईएमआई चुकानी पड़ेगी. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>कितना बढ़ा एमसीएलआर</strong><br />एसबीआई ने 15 अगस्त, 2022 से ओवरनाइट से लेकर तीन महीने की अवधि के लिए एसीएलआर को 7.15 फीसदी से बढ़ाकर 7.35 फीसदी कर दिया है. तो 6 महीने के एमसीएलआर रेट को 7.45 फीसदी से बढ़ाकर 7.65 फीसदी कर दिया गया है. एक साल के लिए एमसीएलआर 7.50 फीसदी से बढ़ाकर 7.70 फीसदी और दो साल के लिए एमसीएलआर को 7.7 से 7.9 फीसदी और तीन साल के लिए 7.8 से बढ़ाकर 8 फीसदी कर दिया गया है. एसबीआई ने पिछले महीने भी एमसीएलआर में 10 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की थी. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>रेपो रेट बढ़ने का असर</strong> <br />बीते तीन महीने में आरबीआई ने तीन चरणों में रेपो रेट में 1.40 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है जिसके बाद रेपो रेट 5.40 फीसदी हो गया है. जिसके बाद बैंकों के लिए आरबीआई से कर्ज लेना महंगा हो गया तो अब बैंक उसका भार कस्टमर्स पर डाल रहे हैं.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>क्या होता है MCLR</strong><br />आपको बता दें मौजूदा समय में सभी फ्लोटिंग रेट्स वाले लोन एमसीएलआर या फिर एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट से जुड़ा है. अप्रैल 2016 में एमसीएलआर अस्तित्व में आया था. आरबीआई के नए गाइडलाइंस के मुताबिक अब कमर्शियल बैंक बेस रेट के बदले मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट यानी एमसीएलआर के आधार पर कर्ज देते हैं. एमसीएलआर को निर्धारित करने के लिए मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बहुत मायने रखता है. रेपो रेट में कोई भी बदलाव होने पर मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड में तब्दीली आती है. फ्लोटिंग रेट पर ग्राहकों ने जो लोन लिया हुआ है उसके रीसेट डेट जब आएगा तो नए एमसीएलआर के आधार पर ग्राहकों के लोन की ब्याज दरों तय की जाएगी जिसके बाद उनकी ईएमआई महंगी हो जाएगी. </p> <p><strong>ये भी पढ़ें</strong></p> <p><a href="
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