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Independence Day 2022: बचपन बचाओ आंदोलन के जरिए संवारी हजारों बच्चों की जिंदगी, कुछ ऐसी है कैलाश सत्यार्थी की कहानी

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<p style="text-align: justify;"><strong>Kailash Satyarthi:</strong> किसी भी देश में व्यवस्था को चलाने में सिर्फ सरकार और सरकारी विभागों का प्रयास ही काफी नहीं होता. खासकर भारत जैसे बड़े क्षेत्रफल और अधिक जनसंख्या वाले देश में. जहां गरीबी और अमीरी का फासला बहुत ज्यादा है. चूंकि सरकार हर जगह नहीं पहुंच पाती.</p> <p style="text-align: justify;">ऐसे में कई लोग अपने आंदोलनों,अभियानों या उनके द्वारा चलाए जा रहे तमाम एनजीओ,सोसाइटी और संगठन के जरिए लोगों तक पहुंचकर बड़ी भूमिका निभाते हैं. ऐसा ही एक आंदोलन चलाया नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने. जिसका नाम है 'बचपन बचाओ आंदोलन'. अपने इस आर्टिकल में हम कैलाश सत्यार्थी और उनके द्वारा चलाए जा रहे इस आंदोलन के बारे में &nbsp;बताएंगे-</p> <p style="text-align: justify;"><strong>कौन हैं कैलाश सत्यार्थी-</strong></p> <p style="text-align: justify;">कैलाश सत्यार्थी का जन्म 1954 में मध्य प्रदेश के विदिशा में हुआ. वह एक भारतीय बाल अधिकार कार्यकर्ता हैं. वह बाल श्रम,बंधुआ मजदूरी,मानव तस्करी के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करते हैं.</p> <p style="text-align: justify;">उन्होंने बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए 1980 में 'बचपन बचाओ आंदोलन' शुरू किया. जिसके जरिए उन्होंने न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के अलग-अलग देशों में बच्चों के अधिकारों के लिए काम किया.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>80 हजार बच्चों का सुधारा जीवन</strong></p> <p style="text-align: justify;">'बचपन बचाओ आंदोलन' के जरिए कैलाश सत्यार्थी और उनके सहयोगियों के द्वारा अब तक 80 हजार से ज्यादा बच्चों के जीवन को सुधारा गया. इन बच्चों को बेहतर शिक्षा और जीवनयापन में सहयोग किया गया.</p> <p style="text-align: justify;">कैलाश सत्यार्थी के प्रयासों से ही 1999 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संघ ने बाल श्रम की विकृत श्रेणियों पर संधि संख्या 182 को अंगीकृत किया.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>कई बार हुए जानलेवा हमले-</strong></p> <p style="text-align: justify;">बच्चों के अधिकारों के लिए काम करते हुए उन्हें तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ा. इस दौरान उन पर कई बार जानलेवा हमले भी हुए. 2004 में जब वह ग्रेट रोमन सर्कस में काम करने वाले बच्चों को छुड़ा रहे थे तब उनके ऊपर जानलेवा हमला किया किया गया.</p> <p style="text-align: justify;">ऐसा ही वाकया 2011 में दिल्ली की एक कपड़ा फैक्ट्री पर छापे के दौरान हुआ. इसके बावजूद भी वह बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने के अपने इरादे डिगे नहीं.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>रगमार्क की शुरुआत की-</strong></p> <p style="text-align: justify;">कैलाश सत्यार्थी ने कालीन और अन्य कपड़ों के निर्माण में रगमार्क की शुरुआत की. जिससे यह प्रमाण मिलता है इस काम में बच्चों को नहीं लगाया गया है. यह बेहद सराहनीय प्रयास है जिसको सरकार का भी समर्थन प्राप्त है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>बाल अधिकारों की लड़ाई के लिए मिला नोबेल पुरस्कार-</strong></p> <p style="text-align: justify;">बाल अधिकारों के लिए उनके उल्लेखनीय काम का देखते हुए उन्हें 2004 में शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया. उन्हें यह पुरस्कार पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई के साथ साझा रूप से दिया गया.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;"><a title="Independence Day 2022: आजीवन पर्यावरण को समर्पित रहे सुंदरलाल बहुगुणा, दलित उत्थान के लिए भी किया संघर्ष" href="https://ift.tt/wNUZG9H" target=""><strong>ये भी पढ़ें-</strong>Independence Day 2022: आजीवन पर्यावरण को समर्पित रहे सुंदरलाल बहुगुणा, दलित उत्थान के लिए भी किया संघर्ष</a></p> <p style="text-align: justify;"><a title="Independece Day 2022: पानी की बर्बादी को रोकने के लिए अभियान चला रही हैं गर्विता गुलाटी, लोगों को कर रही हैं जागरुक" href="https://ift.tt/NDCU0d4" target="">Independece Day 2022: पानी की बर्बादी को रोकने के लिए अभियान चला रही हैं गर्विता गुलाटी, लोगों को कर रही हैं जागरुक</a></p> TAG : imdia news,news of india,latest indian news,india breaking news,india,latest news,recent news,breaking news,news SOURCE : https://ift.tt/FzV6U3m