
<p style="text-align: justify;"><strong>Covid-19:</strong> कोरोना की पहली लहर के दौरान रिसर्च चलती रही कि आखिर ये बला क्या है और कहां से आई है. क्योंकि इस संक्रमण (Covid Infection) पर दवाओं और दुआओं किसी का भी असर होता नहीं दिख रहा था. वहीं, कोरोना (Corona) की दूसरी लहर के दौरान हर्ड इम्युनिटी (Herd Immunity) पर बहुत अधिक बात की गई. लोग इस उम्मीद में जीवन के बचने की आस लगाए रहे कि इंफेक्शन फैलेगा तब भी लाभ ही होगा. क्योंकि इससे हर्ड इम्युनिटी बढ़ेगी और एक सीमा के बाद संक्रमण (Infection) का बढ़ना थम जाएगा. लेकिन कोरोना के मामले में वास्तविक धरातल पर ऐसा कुछ होता नजर नहीं आया. इसकी क्या वजह हैं और एक्सपर्ट्स इस बारे में क्या कहते हैं, यहां जानें...</p> <p style="text-align: justify;"><strong>क्या है हर्ड इम्युनिटी?</strong></p> <p style="text-align: justify;">हर्ड इम्युनिटी का अर्थ होता है कि ऐसी रोग प्रतिरोधक क्षमता जो किसी व्यक्ति विशेष में न होकर एक समूह या ग्रुप में होती है. यानी जब कहीं कोई वायरस या अन्य संक्रामक रोग ज्यादातर लोगों को संक्रमित कर चुका होता है तो उनके शरीर में उस रोग या विषाणु के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है. जब किसी सोसायटी के ज्यादातर लोगों के अंदर यह रोग प्रतिरोधक क्षमता आ जाती है तो फिर उस संक्रमण का प्रसार होना बंद हो जाता है. एक ग्रुप या समाज की सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता को ही हर्ड इम्युनिटी कहते हैं.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>कैसे काम करती है हर्ड इम्युनिटी?</strong></p> <ul style="text-align: justify;"> <li>जैसा कि ऊपर बताया गया है कि जब किसी समूह या समाज के ज्यादातर लोगों के शरीर में किसी संक्रामक रोग के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है तो वह बीमारी स्वत: ही फैलना बंद हो जाती है. </li> <li>हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि किसी भी समाज में हर्ड इम्युनिटी विकसित होने के लिए उसके 60 से 80 प्रतिशत लोगों के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकसित होना जरूरी होता है. यह क्षमता प्राकृतिक रूप से तब विकसित हो जाती है, जब ज्यादातर पॉपुलेशन इस बीमारी से ग्रसित होकर ठीक हो जाती है.</li> <li>हर्ड इम्युनिटी विकसित करने का दूसरा तरीका है टीकाकरण यानी वैक्सिनेशन. जब ज्यादातर लोगों को वैक्सीन लगाकर रोग फैलाने वाले वायरस के प्रति मजबूती प्रदान कर दी जाती है तब भी संक्रमण का फैलान बंद हो जाता है.</li> </ul> <p style="text-align: justify;"><strong>कोरोना के मामले में क्यों नहीं मिले वांछित परिणाम?</strong></p> <ul style="text-align: justify;"> <li>कोरोना संक्रमण बढ़ने के बाद हर्ड इम्युनिटी के आने का इंतजार हमारी दुनिया पर बहुत भारी पड़ सकता था. इसलिए जल्दी से वैक्सीन पर काम किया गया और दुनिया में पहली बार किसी रोग की वैक्सीन इतने कम समय में बनकर तैयार हुई. बमुश्किल 10 से 15 महीनों के अंदर. जबकि इससे पहले वैक्सीन आने में 7 से 15 साल तक लग जाते थे.</li> <li>लेकिन फिर भी कोरोना संक्रमण के मामले में हमारी दुनिया हर्ड इम्युनिटी के उस स्तर पर नहीं पहुंची है, जिसकी अपेक्षा थी. वैज्ञानिक इसके कई कारण मान रहे हैं. इनमें मुख्य कारण है वायरस का लगातार अपना रूप बदलना.</li> <li>वायरस के फैलने की अलग-अलग दर भी हर्ड इम्युनिटी न बन पाने की एक वजह हो सकती है. जैसे, कोविड-19 से सक्रमित एक व्यक्ति दो से तीन लोगों तक संक्रमण फैला सकता था. जबकि डेल्टा के दौरान यह दर 5 लोगों तक बढ़ गई और <a title="ओमिक्रोन" href="
https://ift.tt/XA6MV0F" data-type="interlinkingkeywords">ओमिक्रोन</a> से संक्रमित एक व्यक्ति 20 लोगों तक को इंफेक्शन पहुंचा सकता था. </li> <li>अलग मौसम और अलग जलवायु वाले क्षेत्रों में वायरस का अलग तरह से व्यवहार करना और एक समय में सभी लोगों को एक साथ वैक्सिनेशन न हो पाना भी इसकी एक वजह हो सकती है. </li> <li>संक्रमण का बढ़ना जैसे ही नियंत्रण में आता है, लोग लापरवाही करने लगते हैं. मास्क, सैनिटाइजर, हैंडवॉश और हाइजीन जैसी आदतों को भूल जाते हैं. नतीजा यह होता है कि संक्रमण एक बार फिर फैलने लगता है. यह भी हर्ड इम्युनिटी ना बन पाने का एक कारण है.</li> </ul> <p style="text-align: justify;"><strong>फिर से क्यों बढ़ रहा है कोरोना?</strong></p> <p style="text-align: justify;">कोरोना एक ऐसा संक्रमण है, जो हर बार एक नए रूप में सामने आ रहा है. इस संक्रमण को पूरी तरह रोकने के लिए जरूरी है कि जब यह संक्रमण बहुत कम स्पीड से फैल रहा हो, तब भी लोग इससे बचाव के उपायों का पालन करें. लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है. जैसे ही कोविड (Covid-19) के फैलने की दर कम होने लगती है, लोग मास्क (Corona Face Mask) लगाना बंद कर देते हैं. हाइजीन (Hygiene) को लेकर लापरवाह हो जाते हैं और खान-पान में भी सावधानी पहले की तरह नहीं बरतते हैं. इस तरह की लापरवाही के कारण यह संक्रमण पूरी तरह रुक नहीं पा रहा है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. </strong></p> <p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें:</strong><a title=" मेलेनोमा में भी बदल सकता है आपका बर्थमार्क, इन तरीकों से करें जांच" href="
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