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केंद्र-दिल्ली विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 15 मई तक सुनवाई खत्म करने की करेंगे कोशिश, मामला संविधान पीठ को सौंपने पर सुरक्षित रखा आदेश

केंद्र-दिल्ली विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 15 मई तक सुनवाई खत्म करने की करेंगे कोशिश, मामला संविधान पीठ को सौंपने पर सुरक्षित रखा आदेश
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<p style="text-align: justify;"><strong>Centre vs Delhi Jurisdiction:</strong> दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का मसला संविधान पीठ को सौंपने पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट ने संकेत दिया है कि अगर मामला 5 जजों की बेंच को भेजा जाता है, तो भी सुनवाई 15 मई तक पूरा करने की कोशिश की जाएगी. दिल्ली सरकार अधिकारियों पर पूर्ण नियंत्रण की मांग कर रही है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>2019 में मामला 3 जजों को भेजा गया था</strong></p> <p style="text-align: justify;">इससे पहले 14 फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर फैसला दिया था. फैसला देने वाली बेंच के 2 जजों जस्टिस ए के सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण में सर्विसेस यानी अफसरों पर नियंत्रण को लेकर मतभेद था. जस्टिस सीकरी ने माना था कि दिल्ली सरकार को अपने यहां काम कर रहे अफसरों पर नियंत्रण मिलना चाहिए. हालांकि, उन्होंने भी यही कहा कि जॉइंट सेक्रेट्री या उससे ऊपर के अधिकारियों पर केंद्र सरकार का नियंत्रण रहेगा. उनकी ट्रांसफर-पोस्टिंग उपराज्यपाल करेंगे. उससे नीचे के अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग दिल्ली सरकार कर सकती है. लेकिन जस्टिस भूषण ने यह माना था कि दिल्ली एक केंद्रशासित क्षेत्र है. दिल्ली एक केंद्र शासित क्षेत्र है. उसे केंद्र से भेजे गए अधिकारियों पर नियंत्रण नहीं मिल सकता. ऐसे में ये मसला 3 जजों की बेंच के पास भेज दिया गया था.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>केंद्र ने की 5 जजों के बेंच की मांग</strong></p> <p style="text-align: justify;">अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार मांग रही दिल्ली सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमना,जस्टिस सूर्य कांत और हिमा कोहली कि बेंच में लगा. केंद्र सरकार के सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि स्थिति अब बदल चुकी है. यह मसला पिछले साल गवर्नमेंट ऑफ एनसीटी ऑफ दिल्ली एक्ट (GNCTD Act) में किए गए संशोधन से भी जुड़ा है.</p> <p style="text-align: justify;">चूंकि, दिल्ली सरकार ने इस संशोधन को भी चुनौती दी है. इसलिए, दोनों पर साथ सुनवाई होनी चाहिए और मामला संविधान पीठ को भेजा जाना चाहिए. दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह मामले को लंबा खींचने की कोशिश है. आज 3 जजों की बेंच ने मामला संविधान पीठ को भेजने पर आदेश सुरक्षित रख लिया. जजों ने संकेत दिया कि अगर मामला 5 जजों की बेंच को भेजा जाता है, तो भी सुनवाई 15 मई से पहले पूरा करने और फैसला जल्द देने की कोशिश की जाएगी.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें: <a title="Mayawati on President Post: मायावती बोलीं- मैं PM या यूपी का CM बनने का सपना देख सकती हूं, लेकिन राष्ट्रपति बनने का नहीं" href="https://ift.tt/3ML49fV" target="">Mayawati on President Post: मायावती बोलीं- मैं PM या यूपी का CM बनने का सपना देख सकती हूं, लेकिन राष्ट्रपति बनने का नहीं</a></strong></p> TAG : imdia news,news of india,latest indian news,india breaking news,india,latest news,recent news,breaking news,news SOURCE : https://ift.tt/NKqt8X0

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