
<p style="text-align: justify;"><strong>How Cost Of Living Increased:</strong> 2020 और 2021, दो सालों तक कोरोना महामारी के चलते दुनिया के आर्थिक विकास का पहिया ठहर सा गया. इस बीमारी के चलते लोगों को जीवन से हाथ धोना पड़ा तो हजारों की संख्या में लोगों की नौकरी चली गई. कोरोना का कितना प्रभाव लोगों के रोजमर्रा के जीवन पर पड़ा इसका कोई आंकड़ा या सर्वे नहीं आया है. लेकिन लॉकडाउन के चलते जब लोगों के रोजगार पर संकट आ गया या वेतन में कटौती हो गई तो उसका असर लोगों के रोजमर्रा के जीवन पर जरुर पड़ा है. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>कोरोना के बाद रूस-यूक्रेन ने बढ़ाई मुसीबत</strong><br />दो सालों के कोरोना महामारी के असर से दुनिया उबरी भी नहीं थी कि रूस के यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई ने कोढ़ में खाज का काम कर दिया. रूस के इस कार्रवाई से कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, स्टील, एल्युमिनियम समेत कई कमोडिटी के दाम आसमान छूने लगे. यूक्रेन रूस खुद खाद्य सामग्रियों के बड़े सप्लायर थे. तो दुनियाभर में खाद्यान्न संकट खड़ा हो गया जिससे कीमतें आसमान छूने लगी. महंगे क्रूड के चलते पेट्रोल डीजल के दाम बढ़े. महंगे गैस के चलते सीएनजी-पीएनजी महंगा हो गया. गेंहू और खाने का तेल महंगा होता चला गया. पॉम ऑयल के दाम बढ़े तो रोजमर्रा की दूसरी जरुरी चीजें जिसमें साबुन-शैम्पू महंगी हो गई. इसने आम लोगों के घर के बजट प्रभावित करने का काम किया है. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>युद्ध का असर करेंसी पर</strong><br />रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद दुनियाभर में सप्लाई चेन में दिक्कतों के चलते महंगाई बढ़ गई. खाद्य सामग्रियां से लेकर हर चीज महंगी होती गई. सभी करेंसी के मुकाबले डॉलर मजबूत होता चला गया. रुपया हो या येन या यूरो सभी करेंसी डॉलर के आगे पस्त होती चली गई. डॉलर के मुकाबले रुपये में 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट 2022 में आ चुकी है. जिससे आयात और महंगा होता चला गया. इससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार भी घटा है. 640 अरब डॉलर से विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 532 अरब डॉलर पर आ चुका है. जिन लोगों ने अपने बच्चों को पढ़ाई करने के लिए विदेश भेजा हुआ है उनकी मुसीबत बढ़ गई है. क्योंकि विदेश डॉलर भेजने के लिए ज्यादा रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>EMI हुई महंगी!</strong><br />अमेरिका में महंगाई 40 साल के उच्चतम स्तर पर चला गया. जिसके बाद वहां की सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने महंगाई पर लगाम लगाने के लिए ब्याज दरें बढ़ाने का सिलसिला शुरू किया. भारत में भी खुदरा महंगाई दर अप्रैल 2022 में 7.79 फीसदी के उच्चतम स्तर और आरबीआई के टोलरेंस लेवल के ऊपर जा पहुंचा. मई से आरबीआई ने ब्याज दरें बढ़ाने का सिलसिला शुरू किया जो अभी तक जारी है. 1.90 फीसदी रेपो रेट बढ़ाया जा चुका है. और सितंबर महीने में महंगाई दर फिर से 7.41 फीसदी पर जा पहुंची है जिसके बाद कर्ज और महंगे होने की संभावना जताई जा रही है. इसके चलते ईएमआई से जो पहले से ही महंगी हो चुकी है और वो और महंगी हो सकती है. ईएमआई में बढ़ोतरी ने लोगों के घर के बजट को बिगाड़ दिया है. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>बेमौसम बारिश ने बढ़ाई मुसीबत</strong><br />एक तरफ वैश्विक कारणों के चलते महंगाई बढ़ी हुई तो उसपर से इस खरीफ सीजन में बेमौसम बारिश ने भी मुसीबत बढ़ा रखी है. पहले कम बारिश के चलते धान की बुआई घट गई. तो अब ज्यादा बारिश के चलते टमाटर आलू और प्याज समेत साग-सब्जियों की खेती पर असर पड़ा है. जिससे साग-सब्जियां महंगी हो गई है. सितंबर महीने में खाद्य महंगाई दर 8.60 फीसदी रहा है तो साग-सब्जियों का महंगाई दर 18 फीसदी के पार जा पहुंचा है. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>जीवन यापन हुआ कठिन </strong><br />आईएमएफ ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रूस के यूक्रेन पर हमले ने महंगाई बढ़ा दी है जिसका असर लोगों के रोजमर्रा के जीवन पर पड़ा है. आईएमएफ के मुताबिक 2023 में एक तिहाई देशों का आर्थिक विकास दर नेगेटिव यानि माइनस में रहने का अनुमान है. तो 2023 में कुछ देशों अमेरिका यूरोपीय देशों में मंदी भी आ सकती है. इससे रोजगार का संकट खड़ा हो सकता है. कंपनियां छंटनी कर सकती है. </p> <p><strong>ये भी पढ़ें </strong></p> <p><strong><a title="India In Debt Trap: भारत पर बढ़ता जा रहा कर्ज का बोझ, 2022 के आखिर तक GDP का 84% रह सकता है कर्ज का अनुपात" href="
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