Gujarat Election 2022: गुजरात चुनाव में बीजेपी, कांग्रेस और आप में बंट सकता है दलित वोट, जानिए क्या कहते हैं जानकार
<p style="text-align: justify;"><strong>Gujarat Assembly Election:</strong> गुजरात (Gujarat) की आबादी में करीब आठ प्रतिशत की संख्या रखने वाले दलित (Dalit) लोग भले ही आंकड़ों के हिसाब से राज्य में प्रभावशाली समुदाय नहीं हैं लेकिन आगामी विधानसभा चुनावों (Assembly Election) में उनके वोटों का सत्तारूढ़ बीजेपी (BJP), विपक्षी कांग्रेस (Congress) और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच बंटवारा हो सकता है.</p> <p style="text-align: justify;">राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि सभी राजनीतिक दल इस समुदाय को लुभाने की कोशिशों में जुट हैं क्योंकि राज्य में कुल 182 सीटों में से अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित 13 सीटों के अलावा दलित मतदाता कुछ दर्जनों अन्य सीटों पर भी असर डाल सकते हैं. बीजेपी का कहना है कि उसे विश्वास है कि दलित इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में उसे वोट देंगे जबकि कांग्रेस का कहना है कि वह उन सीटों पर ध्यान केंद्रित कर रही है जहां 10 प्रतिशत या इससे अधिक दलित आबादी है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>इन सीटों पर रहा है बीजेपी का दबदबा</strong></p> <p style="text-align: justify;">बीजेपी ने साल 1995 के बाद से ही अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित 13 सीटों में से अधिकांश पर जीत दर्ज की है. उसने साल 2007 और साल 2012 में इनमें से 11 और 10 सीटें जीती थीं जबकि कांग्रेस ने दो और तीन सीटें जीती थी. लेकिन 2017 में बीजेपी केवल 7 सीटें ही जीत पायी जबकि कांग्रेस ने पांच सीटें जीती थीं. एक सीट कांग्रेस समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार ने जीती थी. गढड़ा से कांग्रेस के विधायक प्रवीण मारू ने 2020 में इस्तीफा दे दिया था और 2022 में बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी के आत्माराम परमार ने इस सीट पर उपचुनाव जीता था.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>दलित समुदाय असमंजस में</strong></p> <p style="text-align: justify;">समाजशास्त्री गौरंग जानी ने दावा किया कि गुजरात में जहां तक राजनीतिक जुड़ाव का संबंध हैं तो दलित समुदाय असमंजस में है. अन्य समुदायों के मुकाबले संख्याबल के हिसाब से उनकी आबादी ज्यादा नहीं है और वे तीन उप-जातियों वनकर, रोहित तथा वाल्मिकी में बंटे हुए हैं. गुजरात विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर जानी ने कहा, ‘‘वे अपने आप में ही बंटे हुए हैं, बीजेपी वनकर को आकर्षित कर रही है जिनकी संख्या सबसे अधिक है. वे अधिक स्पष्टवादी और शहरी हैं लेकिन मुख्यरूप से सफाई कर्मी वाल्मिकी विभाजित हैं.’’</p> <p style="text-align: justify;">उन्होंने कहा कि तीन राजनीतिक दल और तीन उप जातियां हैं, दलित वोटों में बंटवारा होगा. उन्होंने कहा, ‘‘इससे उनका राजनीतिक प्रभाव कम हो जाएगा खासतौर से तब जब समुदाय के पास कोई मजबूत नेता नहीं है.’’</p> <p style="text-align: justify;"><strong>आप बिगाड़ सकती है आंकड़ों का खेल</strong></p> <p style="text-align: justify;">जानी ने कहा कि डॉ. बी आर आंबेडकर की विरासत पर दावा जताने वाली आम आदमी पार्टी (आप) के इस मुकाबले में शामिल होने से दलित वोट तीन भागों में बंट सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘इस समुदाय की नयी पीढ़ी असमंजस में है...युवाओं के मतदान की प्रवृत्ति तीनों दलों के बीच विभाजित होने जा रही है. इस विभाजन से किसी राजनीतिक दल को फायदा नहीं मिलेगा न कि इस समुदाय को लाभ मिलेगा. जानी ने कहा, ‘‘दलितों का बीजेपी के साथ लंबा जुड़ाव रहा है.’’ उन्होंने कहा कि वहीं, कांग्रेस दलित समुदाय पर अपनी पकड़ नहीं बनाए रख पायी क्योंकि वह लंबे वक्त से सत्ता से बाहर है.</p> <p style="text-align: justify;">उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि विपक्ष में भी वह उनके मुद्दे नहीं उठा पायी जिसकी उससे उम्मीद की जाती थी. कांग्रेस के कई दलित नेता बीजेपी में चले गए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘साथ ही आप की महात्मा गांधी को दरकिनार कर बाबासाहेब आंबेडकर की विरासत पर दावा जाकर दलितों को लुभाने की रणनीति ने इस समुदाय का ध्यान अपनी ओर खींचा है.’’</p> <p style="text-align: justify;"><strong>बीजेपी को समर्थन मिलने की उम्मीद</strong></p> <p style="text-align: justify;">अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आप ने राज्य में सत्ता में आने पर लोगों को कई ‘‘गांरटी’’ देने का वादा भी किया है. इस बीच, बीजेपी प्रवक्ता यग्नेश दवे ने कहा कि दलित समुदाय के लिए राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं का प्रचार करने के अलावा वे झंझरका और रोसरा जैसे दलित समुदाय के धार्मिक स्थानों के प्रमुखों को भी अपने पक्ष में कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘साल 2017 में भी दलित समुदाय ने बीजेपी का समर्थन किया था और हमारा मानना है कि 2022 में भी हमें उनका समर्थन मिलेगा.’’</p> <p style="text-align: justify;"><strong>कांग्रेस लगी अपनी जुगाड़ में</strong></p> <p style="text-align: justify;">कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष हितेंद्र पिठाडिया ने कहा कि पार्टी 10 प्रतिशत या उससे अधिक की दलित आबादी वाली सीटों पर खास ध्यान दे रही है. उन्होंने कहा, ‘‘यह संभवत: पहली बार है कि कांग्रेस अपने आप को केवल आरक्षित सीटों तक सीमित नहीं रख रही है. हमने 10 प्रतिशत से अधिक दलित मतदाताओं वाली करीब 40 सीटों की पहचान की है.’’</p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें: <a title="ABP News C voter Survey: क्या गुजरात में कांग्रेस और AAP के बीच बंट सकते हैं वोट? लोगों के जवाब से हो जाएंगे शॉक" href="https://ift.tt/pbdAWLQ" target="_self">ABP News C voter Survey: क्या गुजरात में कांग्रेस और AAP के बीच बंट सकते हैं वोट? लोगों के जवाब से हो जाएंगे शॉक</a></strong></p> TAG : imdia news,news of india,latest indian news,india breaking news,india,latest news,recent news,breaking news,news SOURCE : https://ift.tt/ledVvg3
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