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भारत का व्यापार घाटा दो गुने से भी ज्यादा, जानिए इसका क्या बुरा असर होता है?

भारत का व्यापार घाटा दो गुने से भी ज्यादा, जानिए इसका क्या बुरा असर होता है?
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<p style="text-align: justify;">केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के अनुसार पिछले महीने यानी अगस्त 2022 में देश का व्यापार घाटा दोगुने से भी ज्यादा रहा है. इसका मतलब है कि अगस्त महीने में भारत का व्यापार घाटा बढ़ा है. अगस्त, 2021 में व्यापार घाटा 11.71 अरब डॉलर था. इस साल अगस्त में आयात 37.28 प्रतिशत बढ़कर 61.9 अरब डॉलर रहा.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;">व्यापार घाटा का मतलब है जब कोई देश अपनी जरूरत की सामान अन्य देशों से खरीद तो ज्यादा रहा हो लेकिन ऐसा कुछ बना नहीं रहा जिसे अन्य देश खरीदना चाह रहे हों. आसान भाषा में समझे तो भारत पिछले महीने यानी अगस्त में आयात ज़्यादा कर रहा है और निर्यात कम. जिसका मतलब है कि देश में विदेशी मुद्रा भंडार भरने की तुलना में ख़ाली ज़्यादा हो रहा है और यह अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>व्यापार घाटा कैसे करता है अर्थव्यवस्था को प्रभावित</strong></p> <p style="text-align: justify;">इस विषय पर ABP से बात करते हुए एक्सपर्ट ने कहा कि आयात और निर्यात के अंतर को व्यापार संतुलन कहते हैं. ऐसे समझिये कि भारत अन्य देशों से &nbsp;कुछ इंपोर्ट और एक्सपोर्ट करता है. उन दोनों के बीच का जो अंतर है उसे व्यापार घाटा कहा जाता है.</p> <p style="text-align: justify;">ये पूरी तरह घर के हिसाब किताब की तरह है. अगर आपकी आमदनी खर्च से कम है तो ऐसे स्थिति में आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं रह पाएंगी. उसी तरह भारत में विदेशों में भेजे जाने वाले सामानों का जो निर्यात है उससे जो हमें राजस्व प्राप्त होता है और जो हम आयात करते हैं उसमें जो हमें खर्च करना पड़ता है. जब कोई देश निर्यात की तुलना में आयात अधिक करता है तो उसे ट्रेड डेफिसिट (व्यापार घाटा) कहते हैं</p> <p style="text-align: justify;">उन्होंने कहा कि व्यापार घाटा से नुकसान की बात करें तो अगर किसी देश का व्यापार घाटा लगातार कई साल तक कायम रहता है तो उस देश की आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है. व्यापार घाटा का सबसे बुरा असर रोजगार सृजन, विकास दर और मुद्रा के मूल्य पर पड़ता है.</p> <p style="text-align: justify;">इसके अलावा व्यापार घाटा के लगातार कायम रहने का असर चालू खाते के घाटे पर भी पड़ता है. दरअसल चालू खाते में एक बड़ा हिस्सा व्यापार संतुलन का होता है. जिसका मतलब है कि अगर व्यापार घाटा बढ़ता है तो चालू खाते का घाटा भी बढ़ जाता है.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;"><strong>क्या है चालू खाता</strong></p> <p style="text-align: justify;">चालू खाता किसी भी बचत खाते (Saving Account) की तरह ही एक प्रकार का बैंक अकाउंट होता है. यह खाता विदेशी मुद्रा के देश में आने और बाहर जाने के अंतर को दर्शाता है. निर्यात के ज़रिये विदेशी मुद्रा अर्जित होती है, जबकि आयात से विदेशी मुद्रा बाहर जाती है. एक कारण ये भी है कि सरकार ने हाल में कई वस्तुओं पर आयात शुल्क की दर बढ़ाकर गैर-ज़रूरी वस्तुओं के आयात को कम करने का प्रयास किया है.</p> <p style="text-align: justify;">एक्सपर्ट ने abp से किए बातचीत में कहा कि अगर देश से बढ़ते व्यापार घाटे को कम करने के लिए एक ओर हमें आयात घटाने होंगे तथा दूसरी ओर निर्यात बढ़ाना भी होगा. व्यापार घाटे में कमी लाना है तो सबसे पहले चीन से व्यापार घाटा कम करना होगा.</p> <p style="text-align: justify;">उन्होंने कहा सबसे पहले तो देश को स्थानीय उद्योगों को आगे बढ़ाने की तरफ काम करना होगा. केंद्र सरकार ने उद्योगों को प्रोत्साहन के साथ आत्मनिर्भर भारत अभियान में तेजी लाकर व्यापार घाटे में कमी की जा सकती है.</p> <p style="text-align: justify;">बुधवार को कॉमर्स मिनिस्ट्री द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार भारत का व्यापार घाटा अगस्त में दोगुने से ज्यादा होकर 27.98 अरब डॉलर पर पहुंच गया है, &nbsp;भारत का वस्तुओं का निर्यात अगस्त महीने में 1.62 % बढकर 33.92 अरब डॉलर हो गया जबकि आयात में 37.28 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है. इस महीने वस्तुओं का आयात 61.9 अरब डॉलर रहा.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;">अप्रैल-अगस्त 2022-23 के दौरान निर्यात में 17.68 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह बढ़कर 193.51 अरब डॉलर रहा. चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में आयात 45.74 प्रतिशत बढ़कर 318 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त के दौरान व्यापार घाटा बढ़कर 124.52 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 53.78 अरब डॉलर था.</p> <p style="text-align: justify;">रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण जैसे-जैसे कच्चे तेल, खाद्य तेल और उर्वरकों के वैश्विक दामों में इजाफा हो रहा है, वैसे-वैसे भारत का विदेश व्यापार घाटा भी तेजी से बढ़ रहा है.कच्चा तेल और खाद्य तेल भारत की सबसे प्रमुख आयात मदें हैं. आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अगस्त में कच्चे तेल का आयात 87.44 प्रतिशत बढ़कर 17.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया. हालांकि, सोने का आयात लगभग 47 प्रतिशत घटकर 3.57 अरब डॉलर रहा. वहीं चांदी का आयात बढ़कर 68.43 करोड़ डॉलर हो गया, जो पिछले साल इसी महीने में 1.54 करोड़ डॉलर था.</p> <p style="text-align: justify;">अगस्त में कोयला, कोक और ब्रिकेट्स (133.64 प्रतिशत बढ़कर 4.5 अरब डॉलर), रसायन (43 प्रतिशत बढ़कर लगभग तीन अरब डॉलर) और वनस्पति तेल (41.55 प्रतिशत बढ़कर लगभग दो अरब डॉलर) जैसे प्रमुख जिंस समूहों के आयात मूल्य में वृद्धि हुई. इसके अलावा, अगस्त में सकारात्मक वृद्धि दर्ज (registered positive growth) करने वाले निर्यात उत्पादों में इलेक्ट्रॉनिक सामान, चावल, तेल भोजन, चाय, कॉफी और रसायन शामिल हैं. &nbsp;पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात 22.76 प्रतिशत बढ़कर 5.71 अरब डॉलर हो गया.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;">इसी तरह रसायन और दवा निर्यात क्रमशः 13.47 प्रतिशत और 6.76 प्रतिशत बढ़कर 2.53 अरब डॉलर और 2.14 अरब डॉलर रहा. अगस्त में नकारात्मक वृद्धि दर्ज करने वाले क्षेत्रों में इंजीनियरिंग, रत्न और आभूषण, तैयार वस्त्र और प्लास्टिक शामिल हैं.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;">&nbsp;</p> TAG : imdia news,news of india,latest indian news,india breaking news,india,latest news,recent news,breaking news,news SOURCE : https://ift.tt/wp1BHRG

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