
<p style="text-align: justify;"><strong>Mutual Fund:</strong> निवेशकों ने लगातार तीसरी तिमाही में निश्चित आय वाली प्रतिभूतियों पर केंद्रित म्यूचुअल फंड से निकासी जारी रखी. अप्रैल-जून तिमाही में उच्च मुद्रास्फीति और नीतिगत दरों के बढ़ने से निवेशकों ने म्युचुअल फंड से 70,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की.</p> <p style="text-align: justify;">म्यूचुअल फंड कंपनियों के संगठन एम्फी के मुताबिक, हालिया निकासी की वजह से डेट निश्चित आय फंड के लिए फंड प्रबंधकों द्वारा प्रबंधित परिसंपत्तियां जून महीने के अंत में पांच फीसदी घटकर 12.35 लाख करोड़ रुपये की रह गईं जो मार्च के अंत में करीब 13 लाख करोड़ रुपये थीं. वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में निश्चित आय श्रेणी के तहत प्रबंधन-अधीन परिसंपत्तियां 14.16 लाख करोड़ रूपये के उच्च स्तर पर पहुंच गई थीं लेकिन तब से इसमें लगातार गिरावट आ रही है और जून 2022 आने तक यह 13 फीसदी तक कम हो गईं.</p> <p style="text-align: justify;">भारतीय म्यूचुअल फंड संघ (एम्फी) के आंकड़ों के मुताबिक, समीक्षाधीन तिमाही में डेट म्युचुअल फंड (ओपन एंडेड फिक्स्ड इनकम म्युचुअल फंड) से शुद्ध रूप से 70,213 करोड़ रुपये की निकासी हुई. अप्रैल में इस श्रेणी में 54,756 करोड़ रुपये का निवेश आया था लेकिन मई और जून में स्थिति बदल गई और इन दो महीनों में निवेशकों ने क्रमश: 32,722 करोड़ रुपये और 92,247 करोड़ रुपये निकाल लिए. निवेश हासिल करने वाली श्रेणियों में नकदी कोष, 10 वर्ष का गिल्ट कोष और लंबी अवधि का कोष शामिल हैं.</p> <p style="text-align: justify;">ट्रस्ट म्युचुअल फंड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी संदीप बागला ने कहा, "जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रणालीगत तरलता कम होने और उच्च नियामक दरों के लिहाज से मौद्रिक परिस्थितियां सख्त होंगी. इससे म्युचुअल फंड डेट कोष में से और निकासी हो सकती है." बागला ने कहा कि बीती तीन तिमाहियों से निवेशक निश्चित आय वाले कोष से पैसा मुख्यत: ऊंची मुद्रास्फीति और ब्याज दरों पर इसके प्रभाव की वजह से निकाल रहे हैं. उन्होंने कहा कि निवेशक तरलता की आवश्यकता और अपनी पूंजी की रक्षा के लिए भी पैसा निकाल रहे हैं.</p> <p style="text-align: justify;">मार्केट मेस्ट्रो में निदेशक और संपत्ति प्रबंधक (अमेरिका) अंकित यादव ने कहा कि आगामी तिमाहियों में डेट म्युचुअल फंड में प्रवाह तय करने में ब्याज दर अहम कारक होगी. दरों में स्थिरता आने पर प्रवाह की उम्मीद की जा सकती है. यादव ने कहा कि दरें बढ़ने विशेषकर अमेरिका के केंद्रीय बैंक के द्वारा ऐसा करने की आशंका के बीच निवेशकों के बीच अनिश्चितता का माहौल है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें</strong></p> <p style="text-align: justify;"><a href="
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