
<p style="text-align: justify;"><strong>Maruti Suzuki:</strong> ब्याज दरों में बढ़ोतरी का फिलहाल वाहनों की मांग पर असर नहीं पड़ा है, लेकिन असली स्थिति तब साफ होंगी, जब सेमीकंडक्टर की कमी का मुद्दा हल हो जाएगा और प्रोडक्शन सामान्य हो जाएगा. मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड (एमएसआईएल) के वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी (डिस्ट्रीब्यूशन एंड मार्केटिंग) शशांक श्रीवास्तव ने यह बात कही.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>पेंडिंग ऑर्डर बढ़कर 3.87 लाख यूनिट हो गए हैं- मारुति सुजुकी</strong><br />उन्होंने कहा कि ग्रैंड विटारा और ब्रेजा जैसे नए उत्पादों की पेशकश के साथ बुकिंग में बढ़ोतरी हुई है और कंपनी के पेंडिंग ऑर्डर पिछली तिमाही में 2.8 लाख यूनिट से बढ़कर लगभग 3.87 लाख यूनिट हो गए. उन्होंने एक बातचीत में कहा, "सैद्धांतिक रूप से ब्याज दरों में बढ़ोतरी का नकारात्मक प्रभाव होना चाहिए, लेकिन फिलहाल हम ऐसा महसूस नहीं कर रहे हैं." वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या ब्याज दरों में बढ़ोतरी से कारों की मांग पर असर पड़ा है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>सेमीकंडक्टर की कमी के चलते सप्लाई चेन में रुकावट</strong><br />श्रीवास्तव ने कहा कि ब्याज दरों में वृद्धि का मांग पर असर नहीं होने की एक वजह यह है कि महामारी और सेमीकंडक्टर की कमी के चलते सप्लाई चेन में व्यवधान हुआ. इस कारण प्रोडक्शन प्रभावित हुआ और मांग को पूरा नहीं किया जा सका था. उन्होंने कहा, "एक बार जब आपके पास भरपूर प्रोडक्शन हो जाएगा, तो मांग के वास्तविक रुझानों का पता चलेगा. सेमीकंडक्टर की सप्लाई में काफी सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी कुछ बाधाएं हैं जो कंपनी को अपनी पूरी प्रोडक्शन क्षमता से काम करने से रोक रही है." </p> <p style="text-align: justify;"><strong>चिप की सप्लाई कब तक सामान्य होगी, बताना कठिन</strong><br />श्रीवास्तव ने कहा कि यह बताना कठिन है कि यह कब तक सामान्य हो जाएगा. उन्होंने कहा, "चिप्स की सटीक उपलब्धता के बारे में हमारे पास कोई पक्की जानकारी नहीं है." उन्होंने कहा कि इस साल मई-जुलाई में कंपनी ने अपनी कुल क्षमता का 95 फीसदी प्रोडक्शन किया, जो पिछले साल सितंबर में सबसे कम 40 फीसदी था.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इस महीने 0.50 फीसदी बढ़ाई थी रेपो रेट </strong><br />भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस महीने की शुरुआत में रेपो दर में 0.50 फीसदी की वृद्धि की थी. मई के बाद से यह लगातार तीसरी वृद्धि थी. इसके साथ ही ब्याज दर महामारी से पहले के स्तर पर आ गई है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें</strong></p> <p style="text-align: justify;"><a href="
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