
<p style="text-align: justify;"><strong>RBI Repo Rates:</strong> देश के सबसे बड़े बैंक SBI के अर्थशास्त्रियों (SBI Economist) का मानना है कि हाल में मुद्रास्फीति में हुए तेज इजाफे की वजह से देश में महंगाई तेजी से बढ़ रही है और इसमें करीब 60 फीसदी योगदान रूस-यूक्रेन वॉर है. इस वॉर की वजह से पैदा हुई स्थितियों के कारण ही महंगाई में तेजी आई है. आरबीआई ने हाल ही में रेपो रेट्स में इजाफा किया है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>0.75 फीसदी का और होगा इजाफा</strong><br />आपको बता दें अर्थशास्त्रियों ने आशंका जताई है कि मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अगस्त तक नीतिगत रेपो दर में अभी 0.75 फीसदी तक की और वृद्धि कर सकता है. इस तरह रेपो रेट महामारी से पहले के 5.15 फीसदी के स्तर तक पहुंच जाएगी.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>वॉर का दिख रहा असर</strong><br />अर्थशास्त्रियों ने मुद्रास्फीति पर रूस-यूक्रेन युद्ध के असर को लेकर की गई रिसर्च में यह पाया है कि कीमतों में हुई कम-से-कम 59 फीसदी की वृद्धि के पीछे इस युद्ध से पैदा हुए भू-राजनीतिक हालात रहे हैं. इस अध्ययन में फरवरी के महीने को कीमतों की तुलना का आधार बनाया गया था.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>रोजमर्रा के प्रोडक्ट की बढ़ी लागत</strong><br />इस रिसर्च के मुताबिक, सिर्फ युद्ध की वजह से खाद्य एवं पेय उत्पादों, ईंधन, परिवहन और ऊर्जा की कीमतों में हुई वृद्धि का मुद्रास्फीति में 52 फीसदी अंशदान रहा है जबकि सात फीसदी असर हर दिन इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट से जुड़े सामान की लागत बढ़ने से पड़ा है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>ग्रामीण इलाकों में ज्यादा दिख रहा असर</strong><br />अर्थशास्त्रियों ने कहा कि मुद्रास्फीति की मौजूदा स्थिति में फौरन सुधार आने की संभावना नहीं दिख रही है. हालांकि, शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में कीमतों में इजाफा अलग-अलग देखा गया है. ग्रामीण इलाकों में खाद्य उत्पादों के दाम बढ़ने से महंगाई की ज्यादा मार देखी जा रही है, जबकि शहरी इलाकों में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने का ज्यादा असर है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>अगस्त में और बढ़ेंगे रेट्स</strong><br />रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘मुद्रास्फीति में लगातार हो रहे इजाफे को देखते हुए अब यह लगभग तय है कि रिजर्व बैंक आगामी जून और अगस्त की नीतिगत समीक्षा के समय ब्याज दरें बढ़ाएगा और इसे अगस्त तक 5.15 फीसदी के पूर्व-महामारी स्तर पर ले जाएगा.’’ हालांकि, एसबीआई अर्थशास्त्रियों ने आरबीआई से इस पहलू पर गौर करने को कहा है कि अगर युद्ध संबंधी गतिरोध जल्दी दूर नहीं होते हैं तो क्या इन कदमों से मुद्रास्फीति को सार्थक रूप से नीचे लाया जा सकता है?</p> <p style="text-align: justify;"><strong>केंद्रीय बैंकों का किया समर्थन</strong><br />इसके साथ ही उन्होंने केंद्रीय बैंक के कदमों का समर्थन करते हुए कहा है कि बढ़ोतरी का सकारात्मक प्रभाव भी हो सकता है. इसके मुताबिक, ‘‘उच्च ब्याज दर वित्तीय प्रणाली के लिए भी सकारात्मक होगी क्योंकि जोखिम नए सिरे से तय होंगे.’’ उन्होंने रुपये को समर्थन देने के लिए बैंकों के बजाय एनडीएफ बाजार में आरबीआई के हस्तक्षेप को सही ठहराते हुए कहा कि इससे रुपये की तरलता को प्रभावित नहीं करने का लाभ मिलता है. इसके अलावा इस तरह विदेशी मुद्रा भंडार में भी कमी नहीं आएगी.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें:</strong><br /><strong><a title="SBI के करोड़ों ग्राहकों को लगा बड़ा झटका, आपने भी लिया है लोन तो फिर बढ़ गई आपकी EMI" href="
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