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Inside Story: क्या रहा राज्यसभा उम्मीदवारों को लेकर कांग्रेस का गणित, क्यों स्थानीय की बजाय दूसरे राज्यों के नेताओं को मिला मौका?

Inside Story: क्या रहा राज्यसभा उम्मीदवारों को लेकर कांग्रेस का गणित, क्यों स्थानीय की बजाय दूसरे राज्यों के नेताओं को मिला मौका?
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<div class="vJOb1e QH4RGe aIfcHf"> <div class="iRPxbe"> <div class="mCBkyc y355M JQe2Ld nDgy9d" style="text-align: justify;" role="heading" aria-level="3"><strong>Rajya Sabha Election: </strong>काफी माथा-पच्ची के बाद कांग्रेस (Congress) पार्टी ने राज्यसभा के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया. हालांकि कई नामों को लेकर कुछ राज्यों में लोगों की इस बात को लेकर नाराज़गी सामने आई है कि उन राज्यों के स्थानीय नेताओं के बजाए दूसरे राज्यों के नेताओं को क्यों मौका दिया गया है?</div> </div> </div> <p style="text-align: justify;">सबसे पहले बात करते हैं सबसे चौंकाने वाले दो नाम कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष इमरान प्रतापगढ़ी और पूर्व लोकसभा सांसद और पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन की. एबीपी न्यूज़ को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इन दोनों को ही राज्यसभा के लिए चुनने की एक बड़ी वजह उदयपुर चिंतन शिविर में लिया गया 50 साल से कम उम्र वालों को मौका देने का फैसला बनी.</p> <p style="text-align: justify;">दूसरा, रंजीत रंजन एक महिला हैं और उनके पति पप्पू यादव OBC समुदाय से आते हैं तो कांग्रेस ने इस पर अपना जातिय समीकरण भी बिठाया है. वहीं एबीपी न्यूज़ को कांग्रेस के उच्च सूत्रों ने बताया कि खुद कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी लोकसभा में रंजीत रंजन के परफार्मेंस से काफी प्रभावित हैं इसलिए उन्होंने खुद रंजीत रंजन के नाम पर मुहर लगाई.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;"><strong> पसंदीदा मुसलमान चेहरा है इमरान</strong><br />&nbsp;<br />अब बात करें इमरान प्रतापगढ़ी की तो वो भी 50 साल से कम उम्र के हैं और सूत्रों के मुताबिक़ महाराष्ट्र कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता चाहते थे कि महाराष्ट्र से इमरान प्रतापगढ़ी को ही राज्यसभा के लिए चुना जाए क्योंकि पिछले चुनावों में औरंगाबाद और कुछ अन्य इलाकों में प्रचार के वक्त इमरान ने असदुद्दीन ओवैसी की MIM को खासा परेशान किया था. इमरान खुद एक प्रसिद्ध शायर भी हैं और पसंदीदा मुसलमान चेहरा भी.</p> <p style="text-align: justify;">हालांकि इस फैसले से महाराष्ट्र में कुछ नेता नाराज़ भी हैं कि जब मुकुल वासनिक सरीखे पार्टी के वरिष्ठ नेता महाराष्ट्र से हीं हैं तो महाराष्ट्र से उन्हें क्यों नहीं? बाहरहाल कुछ वरिष्ठ नेताओं की सलाह पर पार्टी नेतृत्व ने इमरान प्रतापगढ़ी के पक्ष में मन बनाया और सूत्रों के मुताबिक खुद प्रियंका गांधी ने भी इमरान के नाम का समर्थन किया.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>राजस्थान से मुकुल वासनिक को राज्यसभा भेजने का फैसला किया</strong></p> <p style="text-align: justify;">हालांकि कांग्रेस नेतृत्व को इस बात का एहसास था कि इस फैसले के बाद अगर मुकुल वासनिक को कहीं और से राज्यसभा नहीं भेजा तो संदेश खराब जाएगा और पहले से G23 गुट के माने जाने वाले मुकुल वासनिक भी कहीं बागी ना हो जाएं. यही नहीं, मुकुल वासनिक दलित नेता हैं लिहाज़ा उन्हें राजस्थान से राज्यसभा भेजने का फैसला किया गया.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;">बात राजस्थान की हीं हो रही है तो गौर करने वाली बात है कि राजस्थान से ही बाकी दोनों नाम भी स्थानीय नेता नहीं हैं. इसीलिए राजस्थान में इसका विरोध भी हो रहा है. कांग्रेस ने हरियाणा के कद्दावर नेता और पार्टी महासचिव रणदीप सिंघ सुरजेवाला और उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी को राजस्थान से उम्मीदवार बनाया है. हालांकि रणदीप सुरजेवाला काफी समय से राज्यसभा चाहते थे और हरियाणा के ताकतवर जाट नेता हैं मगर हर बार भुपिनदर सिंह हुड्डा उनके नाम पर वीटो लगा देते थे. लेकिन इस बार हुड्डा करीबी को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना कर, रणदीप सिंह सुरजेवाला को राजस्थान से राज्यसभा भेज कर कांग्रेस नेतृत्व ने एक तीर से दो निशाने किए.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>उत्तर प्रदेश कांग्रेस की कमान दलित नेता को सौंपा जा सकता है</strong></p> <p style="text-align: justify;">पहला हुड्डा को संदेश कि उनके ना चाहते हुए भी गांधी परिवार ने परिवार के लौयलिस्ट रणदीप के साथ खड़े रहना चुना और दूसरा रणदीप को भी सहज तरीके से फिलहाल हरियाणा की राजनीति से दूर कर दिया. यानी हरियाणा कांग्रेस पर हुड्डा का राज फिर से कायम. जहां तक बात प्रमोद तिवारी की है, वो उत्तर प्रदेश के बड़े ब्राह्मण चेहरा अपने जाते हैं तो इस फैसले से उत्तर प्रदेश के ब्राह्मणों को साधने का भी संदेश जाता है. इससे संकेत ये भी मिलता है कि कांग्रेस अब किसी दलित नेता को उत्तर प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंप सकती है.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;">हालांकि कांग्रेस नेतृत्व के इस फैसले से राजस्थान के स्थानीय नेता खास नाराज़ हो गए हैं. पार्टी के प्रखर प्रवक्ता माने जाने वाले और उदयपुर से हीं आने वाले पवन खेड़ा ने तो ट्विटर पर ही ये लिख कर नाराज़गी ज़ाहिर कर दी कि शायद मेरी तपस्या में कमी रह गई. उन्हीं के ट्वीट के नीचे फिल्म कलाकार से राजनीति में आई कांग्रेस नेता नग़मा ने भी लिख दिया कि शायद उनकी तपस्या में भी कमी रह गई. यही नहीं, राजस्थान के निर्दलीय विधायक और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार संय्यम लोढा भी अपना संय्यम खो बैठे और ट्वीट करके बाहरी नेताओं को राजस्थान से राज्यसभा भेजने के निर्णय पर सवाल खड़े कर दिए. नाराज़गी भांप अशोक गहलोत को ट्वीट कर कहना पड़ा कि उम्मीद करते हैं कि सभी चुने हुए राज्यसभा सांसद राजस्थान के लिए काम करेंगे.</p> <p style="text-align: justify;">एक और नाम जिन्हें लेकर नाराज़गी ज़ाहिर की जा रही है वो है पूर्व केन्द्रीय मंत्री और गांधी परिवार के करीबी राजीव शुक्ला का. राजीव शुक्ला को भी छत्तीसगढ से रंजीत रंजन के साथ ही राज्यसभा के लिए चुना गया है. सूत्रों के मुताबिक़ राजीव शुक्ला के नाम पर भी सीधे गांधी परिवार ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को राज़ी किया था. राजीव शुक्ला भी उत्तर प्रदेश से एक बड़े ब्राह्मण चेहरा हैं और कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी के काफी करीबी माने जाते हैं. राजीव शुक्ला को एक कुशल राजनीतिक मैनेजर भी माना जाता है जिनके संबंध तकरीबन सभी दलों के बड़े नेताओं से हैं और उन्होंने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के पूर्व सलाहकार अहमद पटेल के साथ करीबी से सालों काम भी किया था.</p> <p style="text-align: justify;">गांधी परिवार ने वरिष्ठ नेता, पूर्व केन्द्रीय मंत्री और राहुल गांधी के करीबी अजय माकन को भी हरियाणा से राज्यसभा भेजने का फैसला किया है. वहीं जयराम रमेश को कर्नाटक से राज्यसभा भेजा जा रहा है. ये दोनों ही नेता गांधी परिवार के बेहद क़रीबी और सबसे ज़्यादा विश्वसपात्र माने जाते हैं.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;"><strong>एक मात्र पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को उनके गृह राज्य तमिलनाडु से राज्यसभा भेजा जा रहा है.</strong></p> <p style="text-align: justify;">कांग्रेस के वरिष्ठ सूत्रों ने बताया कि नाराज़ नेताओं को मनाने के लिए कोई ना कोई रास्ता जरूर निकाला जाएगा और रही बात नाराज़गी तो पहले भी तमाम नेताओं को अलग अलग राज्यों से राज्यसभा भेजा गया है, फिर चाहे वो अंबिका सोनी और जनार्दन द्विवेदी जैसे वरिष्ठ नेता ही क्यों ना हो. 18 साल तक दिल्ली से कांग्रेस बाहर से नेताओं को राज्यसभा भेजती रही है.</p> <p style="text-align: justify;">इन सब से अलग, दिलचस्प ये भी रहा कि तमाम कयासों के बावजूद ग़ुलाम नबी आज़ाद और आनंद शर्मा का नाम उम्मीदवारों में शामिल नहीं किया गया. हालांकि अभी भी उम्मीद है कि ग़ुलाम नबी आज़ाद को झारखंड से JMM से सहमति के साथ उम्मीदवार बना दिया जाए मगर सूत्रों के मुताबिक 4 बार से लगातार राज्यसभा जा रहे सांसदो को इस बार पार्टी चुनना नहीं चाहती थी, इसी वजह से आनंद शर्मा को शामिल नहीं किया गया.</p> <p style="text-align: justify;">&nbsp;</p> TAG : imdia news,news of india,latest indian news,india breaking news,india,latest news,recent news,breaking news,news SOURCE : https://ift.tt/4MqwytI

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