नवनीत राणा, अकबरुद्दीन ओवैसी से कन्हैया कुमार तक...वो हस्तियां जिन पर दर्ज हुआ राजद्रोह का मुकदमा
<p style="text-align: justify;"><strong>Supreme Court Order on Sedition:</strong> सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में राजद्रोह के मामलों में सभी कार्यवाहियों पर बुधवार को रोक लगा दी और केंद्र व राज्यों को निर्देश दिया कि जब तक सरकार इस कानून पर फिर से गौर नहीं करती, तब तक राजद्रोह के आरोप में कोई नई एफआईआर दर्ज न की जाए. </p> <p style="text-align: justify;">कोर्ट ने राजद्रोह के आरोपियों को दी गई राहत को भी बढ़ा दिया और कहा कि राजद्रोह के आरोप से संबंधित सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही पर रोक रहेगी. साथ ही अगर अन्य अपराध हो तो उस पर निर्णय किया जा सकता है. आइए आपको उन हस्तियों के बारे में बताते हैं, जिन पर राजद्रोह के तहत मामला दर्ज किया जा चुका है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>नवनीत राणा (2022) </strong></p> <p style="text-align: justify;">अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा के खिलाफ राजद्रोह के तहत मामला दर्ज किया गया था. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>सिरसा में किसानों पर (जुलाई 2021)</strong></p> <p style="text-align: justify;">कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था. किसान नेताओं ने कहा था कि उन्हें 13 जुलाई को मालूम चला कि सैकड़ों लोगों पर 11 जुलाई को हरियाणा असेंबली के डिप्टी स्पीकर रनबीर सिंह गंगवा के खिलाफ प्रदर्शन करने को लेकर सिरसा में राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था. इस विरोध-प्रदर्शन में काफी हिंसा हुई थी. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>सीएए के खिलाफ प्रदर्शन (दिसंबर 2019)</strong></p> <p style="text-align: justify;">RTI एक्टिविस्ट अखिल गोगोई, असम के साहित्यकार हिरेन गोहेन और एक वरिष्ठ पत्रकार पर सीएए के खिलाफ टिप्पणी करने को लेकर राजद्रोह के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. गुवाहाटी की एनआईए कोर्ट ने अखिल गोगोई और अन्यों को राजद्रोह के आरोपों से बरी कर दिया था. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>2016 जेएनयू (राजद्रोह मामला) </strong></p> <p style="text-align: justify;">जेएनयू में 10 लोगों पर राजद्रोह के आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया था. इसमें कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य, अकिब हुसैन, मुजीब हुसैन गट्टू, मुनीब हुसैन गट्टू, उमर गुल, रईस रसूल, बशरत अली और आखिल बशीर भट्ट को आरोपी बनाया गया था. दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में दाखिल अपनी एफआईआर में दावा किया था कि 9 फरवरी 2016 को अफजल गुरु की बरसी पर कन्हैया कुमार की अगुआई में देशविरोधी नारे लगाए गए थे. अफजल गुरु को 2001 संसद हमले को लेकर दोषी ठहराया गया था और उसे 2013 में फांसी दे दी गई थी. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>पटेल आंदोलन (अगस्त 2015)</strong></p> <p style="text-align: justify;">पटेल आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल के खिलाफ सूरत पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की थी. अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने पाटीदार आरक्षण के कारण गुजरात के कई हिस्सों में भड़की हिंसा को लेकर हार्दिक पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया था. हार्दिक ने पटेल समुदाय के लिए आरक्षण को लेकर आंदोलन किया था. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>कोवन (अक्टूबर 2015)</strong></p> <p style="text-align: justify;">सिंगर कोवन को तमिलनाडु की पूर्व सीएम और दिवंगत एआईएडीएमके नेता जयललिता के खिलाफ अपमानजनक सामग्री अपलोड करने को लेकर राजद्रोह के तहत गिरफ्तार किया गया था. बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>कश्मीरी छात्र (2014)</strong></p> <p style="text-align: justify;">मार्च 2014 में 60 कश्मीरी छात्रों पर उत्तर प्रदेश में राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था. आरोप था कि वे भारत के खिलाफ मैच में पाकिस्तान को सपोर्ट कर रहे थे. कानून मंत्रालय से कानूनी सलाह के बाद प्रशासन ने आरोप हटा दिए थे. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>अकबरुद्दीन ओवैसी (2013)</strong></p> <p style="text-align: justify;">AIMIM नेता अकबरुद्दीन ओवैसी ने साल 2013 में आंध्र प्रदेश में एक भाषण दिया था, जिसके बाद उन पर राजद्रोह के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. उन पर धार्मिक समुदायों के बीच नफरत भड़काने की कोशिश का आरोप लगा था. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी </strong></p> <p style="text-align: justify;">सितंबर 2012 में कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था. उन्हें मुंबई कोर्ट ने 2 हफ्ते के लिए जेल भेजा था. हालांकि बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>बिनायक सेन</strong></p> <p style="text-align: justify;">साल 2010 में डॉ बिनायक सेन पर छत्तीसगढ़ सरकार ने राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया था. हालांकि उन्हें 2011 के अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी. कोर्ट ने कहा था कि छत्तीसगढ़ सरकार आरोपी के खिलाफ राजद्रोह का कोई भी सबूत पेश नहीं कर पाई. इससे पहले मई 2007 में, डॉ सेन को कथित तौर पर गैरकानूनी नक्सलियों का समर्थन करने के लिए हिरासत में लिया गया था, जिसे छत्तीसगढ़ विशेष सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम 2005 (सीएसपीएसए) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 के प्रावधानों का उल्लंघन माना गया था.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>अरुंधति रॉय </strong></p> <p style="text-align: justify;">29 नवंबर 2010 को जानी-मानी लेखिका अरुंधति रॉय के खिलाफ विवादित कश्मीर क्षेत्र की स्वतंत्रता की वकालत करने के लिए राजद्रोह का आरोप लगाया गया था. अरुंधति रॉय, हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी और अन्य पर दिल्ली पुलिस ने 2010 में एक सेमिनार में "भारत विरोधी" भाषण के लिए देशद्रोह का आरोप लगाया था.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>प्रवीन तोगड़िया </strong></p> <p style="text-align: justify;">तत्कालीन विश्व हिंदू परिषद के नेता पर साल 2003 में राजस्थान सरकार ने उस वक्त राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया था, जब उन्होंने निषेधाज्ञा की अवहेलना की और त्रिशूल बांटे थे.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें</strong></p> <p style="text-align: justify;"><strong><a href="https://ift.tt/ta4Irpx सात साल में राजद्रोह के 399 मामले दर्ज, 169 में बनी चार्जशीट, सिर्फ 9 को मिली सजा</a></strong></p> <div class="article-data _thumbBrk uk-text-break"> <p><strong><a title="Sedition Law: राजद्रोह में नहीं दर्ज होगा नया केस, जेल में बंद लोग मांग सकेंगे बेल, 124A पर 'सुप्रीम' फैसले की 5 बड़ी बातें" href="https://ift.tt/OXycWEM" target="">Sedition Law: राजद्रोह में नहीं दर्ज होगा नया केस, जेल में बंद लोग मांग सकेंगे बेल, 124A पर 'सुप्रीम' फैसले की 5 बड़ी बातें</a></strong></p> </div> <section class="new_section"> <div class="uk-text-center uk-background-muted uk-margin-bottom"> <div class="uk-text-center"> 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