<p style="text-align: justify;"><strong>Crude Oil Price Hike Concern:</strong> कच्चा तेल अभी भी 100 डॉलर के ऊपर कारोबार कर रहा है. जिसके चलते भारत के लोगों को हर रोज महंगे पेट्रोल डीजल के दामों से रुबरु होना पड़ रहा है. भारत अपने 85 फीसदी पेट्रोल डीजल के खपत के लिए आयातित कच्चे तेल पर निर्भर है. महंगे कच्चे तेल खरीदने का भार सरकार के खजाने पर पड़ रहा क्योंकि ज्यादा डॉलर खर्च करने पड़ रहे है उसपर महंगे पेट्रोल डीजल के चलते महंगाई की मार अलग. ऐसे में वित्त मंत्रालय ने कहा है कि सरकार सस्ते दाम पर कच्चा तेल खरीदने के लिए सभी व्यवहारिक विकल्पों को तलाश रहा है. </p> <p style="text-align: justify;">वित्त मंत्रालय ने मार्च महीने के अपनी मंथली इकॉनमिक रिव्यू रिपोर्ट में कहा है कि, "आत्मनिर्भर भारत की भावना को नजर में रखते हुए राष्ट्रीय आर्थिक और सुरक्षा हितों को किसी भी अन्य विचार से उपर रखता है, सरकार इंपोर्ट डाइवरसिफिकेशन सहित सभी व्यवहारिक विकल्पों की तलाश कर रही है, जिसमें सस्ती कीमत पर कच्चे तेल की खरीद की जा सके. रिपोर्ट में कहा गया है, "अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमत लंबे समय तक बनी रहती है, तो भारत के 2022-23 में 8 फीसदी विकास दर हासिल करने की राह में रोड़ा बन सकता है. वित्त मंत्रालय की समीक्षा रिपोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा गया है कि, कच्चे तेल की कीमतों में महीने-दर-महीने 20 प्रतिशत की वृद्धि के कारण मार्च में आयात में वृद्धि अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है.</p> <p style="text-align: justify;">कच्चे तेल की आपूर्ति सुनिश्चित करने और केवल एक क्षेत्र पर कच्चे तेल पर निर्भरता के जोखिम को कम करने के लिए, भारत विभिन्न भौगोलिक स्थानों जैसे मध्य पूर्व, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका आदि में अपनी पेट्रोलियम बॉस्केट में विविधता लाने पर फोकस कर रहा है. वित्त मंत्रालय ने मासिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा कि रूस से सस्ता कच्चा तेल और पारंपरिक हाइड्रोकार्बन से परे ऊर्जा स्रोत उच्च कीमतों के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने की रणनीति का हिस्सा था. </p> <p><strong>ये भी पढ़ें </strong></p> <p><strong><a title="Adani Group Shares Crashes: शेयर बाजार में दोपहर बाद प्रॉफिट पुकिंग के चलते औंधे मुंह गिरे अडानी समूह की कंपनियों के शेयर" href="
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