<p style="text-align: justify;"><strong>Indian Economic Growth:</strong> घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने वित्त वर्ष 2022-23 में देश के वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान जताया है, जबकि आर्थिक समीक्षा में इसके 8.5 प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई है. इसके साथ ही क्रिसिल ने मनरेगा के आवंटन में कटौती पर भी सवाल उठाया है. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मंगलवार को संसद में पेश बजट 2022-23 में सार्वजनिक खर्च बढ़ाने और राजकोषीय मजबूती की दिशा में प्रयासों को धीमा करने पर दिया गया जोर सही दिशा में उठाया गया कदम है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>जानें क्या कहती है रिपोर्ट</strong><br />क्रिसिल की रिपोर्ट कहती है, ‘‘इन सबके बावजूद भारत के आर्थिक परिदृश्य से जुड़े जोखिम अब भी बरकरार हैं. ऐसी स्थिति में वर्ष 2022-23 में जीडीपी वृद्धि थोड़ी धीमी होकर 7.8 प्रतिशत ही रहने का अनुमान है. चालू वित्त वर्ष में इसके 9.2 प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई है.’’</p> <p style="text-align: justify;"><strong>ग्लोबल वृद्धि में आ सकती है सुस्ती</strong><br />रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल ग्लोबल इजाफे में सुस्ती आ सकती है क्योंकि बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में मौद्रिक एवं राजकोषीय प्रोत्साहन वाले उपाय वापस लिए जाने की संभावना है. इसका भारत की वृद्धि संभावनाओं पर सीधा असर पड़ेगा क्योंकि महामारी के दौरान घरेलू वृद्धि का एक अहम कारक निर्यात रहा है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>आयात बिल में हो सकती है बढ़ोतरी</strong><br />इसके अलावा कच्चे तेल के दामों में भी भू-राजनीतिक तनाव से तेजी का रुख बना रह सकता है, जिससे भारत के आयात बिल में बढ़ोतरी होने की आशंका है. क्रिसिल ने ब्रेंट क्रूड के इस साल औसतन 85 डॉलर प्रति बैरल पर रहने का अनुमान जताया है, जबकि वर्ष 2021 में इसका औसत स्तर 70.44 डॉलर प्रति बैरल रहा. क्रिसिल ने कहा कि वैश्विक आपूर्ति शृंखला से जुड़े गतिरोधों में थोड़ी राहत मिलने पर भी सेमीकंडक्टर जैसे अहम कच्चे माल की किल्लत दूर होने में अभी वक्त लगेगा.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>मनरेगा की राशि कम करने पर उठाया सवाल</strong><br />क्रिसिल की रिपोर्ट में मनरेगा के लिए आवंटित की जाने वाली राशि में की गई कटौती पर भी सवाल उठाते हुए कहा गया है कि इस रोजगार गारंटी योजना का विस्तार किया जाता, तो अल्पावधि में ग्रामीण खपत एवं आमदनी को बढ़ाया जा सकता था.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें: </strong><br /><strong><a title="Stock Market: बजट के अगले दिन बाजार में रही तेजी, Sensex-Nifty हरे निशान में बंद, बैंकिग शेयर्स भागे" href="
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