<p style="text-align: justify;"><strong>Inflation Data of Europe:</strong> पहले कोरोना महामारी और अब रूस-यूक्रेन युद्ध ने यूरोपीय देशों (European Countries) के लिए मुश्किलें बढ़ा दी है. यूरोजोन में आने वाले 19 देशों में महंगाई हाहाकार मचा रही है. पहली बार यूरोपीय देशों में मुद्रास्फीति दर 10% (Inflation in Europe) के पार पहुंच गई है. इससे इस इलाके में आर्थिक मंदी की संभावना और बढ़ गई है.</p> <p style="text-align: justify;">शुक्रवार को जारी हुए यूरो स्टेट डेटा के अनुसार सितंबर में यूरोपीय देशों में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (Consumer Price Index) पहली बार डबल डिजिट में यानी 10% के पार चला गया. वहीं अगस्त महीने की बात करें तो यूरोप में महंगाई दर 9.1% थी. पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि सितंबर के महीने में मुद्रास्फीति दर 9.7% के आसपास रहेगी, लेकिन यह 10% के पार पहुंच चुकी है.</p> <p style="text-align: justify;">ब्लूमबर्ग में छपी रिपोर्ट के मुताबिक एक्सपर्ट्स के अनुमान से यह महंगाई दर बहुत ज्यादा है. यह लगातार पांचवा महीना है जब यूरोपीय देशों में महंगाई दर अनुमान से ज्यादा निकली है. बढ़ती महंगाई के कारण आम लोगों के जीवन पर बहुत बुरा असर पड़ा है और अब सेंट्रल बैंक पर ब्याज दरों को बढ़ाने का दवाब बहुत ज्यादा बढ़ गया है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>आम लोगों के जीवन पर पड़ रहा बुरा असर</strong></p> <p style="text-align: justify;">यूरो स्टेट के आंकड़ों के मुताबिक बढ़ती महंगाई का सबसे बड़ा कारण है यूरोपीय देशों में खाने-पीने की चीजों के प्राइस में बढ़ोतरी. इसके साथ ही वहां ऊर्जा की कीमतों में भी बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. अगस्त के महीने में यूरोप में गैस के दामों में 38.6% की बढ़ोतरी हुई थी.</p> <p style="text-align: justify;">वहीं सितंबर के महीने में इसमें 40.8% की बढ़ोतरी हुई है. इसके साथ ही खाना, शराब और तंबाकू के प्राइस में 11.8% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. एक्सपर्ट्स का यह मानना है कि आने वाले वक्त में सर्दियों के साथ ही यूरोप के लिए समस्याएं और बढ़ सकती है. रूस के साथ तनातनी का असर गैस सप्लाई पर साफ दिख सकता है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>यूरोपीय सेंट्रल बैंक बढ़ा सकते हैं ब्याज दर</strong></p> <p style="text-align: justify;">यूरोप के देश लिथुआनिया (Lithuania) में महंगाई के सभी रिकॉर्ड टूट गए हैं. यहां मुद्रास्फीति दर 22% के पार चली गई है. वहीं जर्मनी की बात करें तो यहां सितंबर में मुद्रास्फीति दर 10.9% तक पहुंच गया है. पिछले महीने तक जर्मनी (Germany Inflation Rate) में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स 8.8% था. ऐसे में यूरोपीय देशों में महंगाई को लेकर चिंता साफ देखी जा सकती हैं.</p> <p style="text-align: justify;">महंगाई को काबू में करने के लिए यूरोपीय सेंट्रल बैंकों की होने वाली मीटिंग में ब्याज दरों में बड़ी बढ़ोतरी की जा सकती है. इसके साथ ही सेंट्रल बैंक ऑफ इंग्लैंड एक बार फिर अपनी ब्याज दरों में 0.75% की बढ़ोतरी कर सकता है. इसका असर यूरोपीय शेयर बाजारों पर भी पड़ सकता है. दक्षिण अमेरिका के देश अर्जेंटीना में महंगाई 80% तक बढ़ चुकी है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>अमेरिका में भी महंगाई से बुरा हाल</strong></p> <p style="text-align: justify;">यूरोप के अलावा अमेरिका में भी महंगाई से हाहाकार मचा हुआ है. देश में मुद्रास्फीति ने पिछले 40 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. ऐसे में देश की मुद्रास्फीति दर (US Inflation Rate) को कंट्रोल करने के लिए अमेरिका के फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) ने बड़ा फैसला लेते हुए अपनी ब्याज दरों में इजाफे का फैसला किया है. फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) ने ब्याज दरों में 0.75% का इजाफा किया है. इसके बाद यह 3 से 3.25% के बीच में पहुंच गया है.</p> <p style="text-align: justify;">ध्यान देने वाली बात ये है कि साल 2008 की मंदी के बाद से अबतक का सबसे ज्यादा ब्याज दर है. अमेरिका में भी महंगाई दर 8% है. वहीं भारत की बात करें तो यहां भी महंगाई ने आम लोगों की कमर तोड़ रही हैं. भारत में फिलहाल खुदरा महंगाई दर 7% से ऊपर चल (Inflation in India) रही. देश में बढ़ती महंगाई को कंट्रोल करने के लिए कल रिजर्व बैंक ने लगातार चौथी बार रेपो रेट में 0.50% की बढ़ोतरी की है. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें-</strong></p> <p style="text-align: justify;"><a href="
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