Supreme Court: कर्ज में डूबे राज्यों में 'मुफ्त मुफ्त मुफ्त' की योजनाओं को कैसे रोकें? सुप्रीम कोर्ट इस पर बना सकता है विशेषज्ञ कमिटी
<div dir="auto"> <p><strong>Supreme Court On Freebies:</strong> चुनाव के दौरान मुफ्त की योजनाओं की घोषणा और बाद में उनके अमल से अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चिंता जताई है. कोर्ट ने इस समस्या से निपटने के लिए एक विशेषज्ञ कमिटी बनाने पर जोर दिया. कोर्ट ने कहा है कि इस कमिटी में वित्त आयोग(Finance Commission), नीति आयोग(NITI Aayog), रिजर्व बैंक (Reserve Bank), लॉ कमीशन, राजनीतिक पार्टियों समेत दूसरे पक्षों के प्रतिनिधि होने चाहिए. मामले की अगली सुनवाई गुरुवार 11 अगस्त को होगी.</p> <p><strong>सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव मांगे</strong><br />चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने केंद्र सरकार, चुनाव आयोग, याचिकाकर्ता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से 7 दिनों में सुझाव मांगे हैं. इन्हें देखने के बाद कोर्ट तय कर सकता है कि विशेषज्ञ कमिटी में कौन लोग होंगे. सुनवाई के दौरान जजों ने कहा कि अगर अब तक चुनाव आयोग ने इस मसले पर कदम उठाए होते, तो शायद ऐसी नौबत नहीं आती. आज शायद कोई भी पार्टी मुफ्त की योजनाओं को छोड़ना नहीं चाहती.</p> <p><strong>क्या है याचिका?</strong><br />बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने मुफ्त की चीजें बांटने का वादा करने वाली पार्टियों की मान्यता रद्द करने की मांग की है. उनकी याचिका में कहा गया है कि इस तरह की घोषणाएं एक तरह से मतदाता को रिश्वत देने जैसी बात है. यह न सिर्फ चुनाव में प्रत्याशियों को असमान स्थिति में खड़ा कर देती हैं बल्कि चुनाव के बाद सरकारी खज़ाने पर भी अनावश्यक बोझ डालती हैं. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 25 जनवरी को नोटिस जारी किया था.</p> <p><strong>केंद्र ने किया समर्थन</strong><br />केंद्र सरकार के लिए पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का खुलकर समर्थन किया. उन्होंने कहा कि गैर जिम्मेदारी से घोषणाएं करने वाली पार्टियों पर कार्रवाई का मसला चुनाव आयोग पर छोड़ा जाना चाहिए. मेहता ने यह भी कहा कि मुफ्त की घोषणाओं पर अगर लगाम नहीं लगाई गई तो देश की अर्थव्यवस्था तबाह हो जाएगी.</p> <p><strong>याचिकाकर्ता की दलील</strong><br />याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने अपनी बात रखते हुए कहा, "राज्यों पर लाखों करोड़ का कर्ज बकाया है. वह उसे चुकाने की स्थिति में नहीं हैं. सवाल यही है कि कर्ज़ में डूबा राज्य मुफ्त योजना को कैसे पूरा करेगा? इस पर कोई सवाल नहीं करता. राजनीतिक दल की कोई ज़िम्मेदारी तय नहीं की जाती. वह कुछ भी घोषणा कर देते हैं.</p> <p><strong>सिब्बल की सलाह</strong><br />मामले की पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट में मौजूद वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से उनकी राय पूछी थी. जजों ने कहा था कि सिब्बल वरिष्ठ सांसद भी हैं. इसलिए, उनकी राय अहम हो सकती है. तब सिब्बल ने कहा था कि यह राजनीतिक से ज़्यादा वित्तीय मसला है. इस पर वित्त आयोग से पूछना चाहिए कि कर्ज़ में डूबे राज्यों को मुफ़्खोरी की योजनाओं से कैसे रोका जा सकता है. आज सिब्बल ने मसले पर संसद में भी बहस की सलाह दी. इस पर चीफ जस्टिस रमना ने कहा, "क्या आपको लगता है कि संसद में चर्चा होगी? आज हर कोई मुफ्त में कुछ पाना चाहता है."</p> <p><strong>गरीबों की सहायता होनी चाहिए : CJI</strong><br />जस्टिस कृष्ण मुरारी और हिमा कोहली के साथ मामले की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस ने कहा, "सिर्फ अमीरों को ही सुविधा नहीं मिलनी चाहिए. अगर बात गरीबों के कल्याण की है, तो इसे समझा जा सकता है. पर इसकी भी एक सीमा होती है." इसके बाद चीफ जस्टिस (Chief Justice) ने कमिटी का गठन कर समाधान निकालने की बात कहते हुए सुनवाई 11 अगस्त के लिए टाल दी.</p> <p><strong><a title="Nancy Pelosi Leaves From Taiwan: चीनी धमकियों के बीच ताइवान से दक्षिण कोरिया के लिए रवाना हुईं नैंसी पेलोसी" href="https://ift.tt/gAt1Cwx" target="">Nancy Pelosi Leaves From Taiwan: चीनी धमकियों के बीच ताइवान से दक्षिण कोरिया के लिए रवाना हुईं नैंसी पेलोसी</a></strong></p> <p><strong><a title="CAA News: नागरिकता कानून को लेकर अमित शाह ने दिया बड़ा बयान, कहा- वैक्सीनेशन खत्म होते ही होगा लागू" href="https://ift.tt/ZXSYcEq" target="">CAA News: नागरिकता कानून को लेकर अमित शाह ने दिया बड़ा बयान, कहा- वैक्सीनेशन खत्म होते ही होगा लागू</a></strong></p> </div> TAG : imdia news,news of india,latest indian news,india breaking news,india,latest news,recent news,breaking news,news SOURCE : https://ift.tt/78tOLcY
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