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Muharram 2022: कर्नाटक के इस गांव में 100 साल से एक भी मुस्लिम परिवार नहीं, फिर भी मनाया जाता है मुहर्रम

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<p style="text-align: justify;"><strong>Karnataka Village Muharram Without Muslim Family:</strong> कर्नाटक में बेलागावी जिले के एक गांव हिरेबीदानूर (Hirebidanur) में 100 सालों से एक भी मुस्लिम परिवार (Muslim Family) नहीं है, बावजूद इसके हर साल यहां पांच दिन के लिए मुहर्रम (Muharram) का त्यौहार मनाया जाता है. गांव की आबादी लगभग तीन हजार है. ज्यादातर परिवार कुरुबा और बाल्मीकि समुदाय के हैं. इस मौके पर गांव रंगबिरंगी रौशनी से नहा उठता है. इस्लाम से ग्रमीणों को जोड़ने वाली एक मस्जिद बताई जाती है. स्थानीय लोग इसे फकीरेश्वर स्वामी की मस्जिद बताते हैं. यहां ग्रामीण अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं. एक हिंदू पुजारी हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार यहां समधर्मी संस्कृति के जश्न में पूजा-पाठ कराता है. इलाके के विधायक महंतेश कौजालगी (Mahantesh Koujalagi) ने हाल में मस्जिद के नवीनीकरण के लिए आठ लाख रुपये की मंजूरी दी थी.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;">टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मस्जिद के पुजारी यलप्पा नाइकार ने बताया, ''हम हर साल मुहर्रम पर पास के बेविनाकट्टी गांव से मौलवी को आमंत्रित करते हैं. वह मस्जिद में एक हफ्ते तक रुकते हैं और पारंपरिक इस्लामी तरीके से प्रार्थना करते हैं. बाकी दिनों में मैं मस्जिद की जिम्मेदारी लेता हूं. दो मुस्लिम भाइयों ने बहुत पहले दो मस्जिदें बनवाई थीं, एक गुटानट्टी में और दूसरी हिरेबीदानूर में, उनकी मौत के बाद स्थानीय लोगों ने मस्जिद में पूजा करना चालू रखा और हर साल मुहर्रम मनाते हैं."</p> <p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें- <a title="Muharram 2022: आज 10वीं मुहर्रम यानी आशूरा है, क्या है इस दिन का इतिहास और महत्व, जानें" href="https://ift.tt/HwBPEIu" target="_blank" rel="noopener">Muharram 2022: आज 10वीं मुहर्रम यानी आशूरा है, क्या है इस दिन का इतिहास और महत्व, जानें</a></strong></p> <p style="text-align: justify;"><strong>मुहर्रम पर गांव में होते हैं ऐसे आयोजन</strong></p> <p style="text-align: justify;">गांव के एक शिक्षक उमेश्वर मरागल ने बताया, ''हिरेबीदानूर के लिए मुहर्रम विशेष है क्योंकि इस पांच दिनों में परंपरा की कई पर्तें मिलती हैं. इसके कारण कलाकारों को उनकी कला का प्रदर्शन करने का मौका मिलता है. कलाकार जूलूस में कर्बल नृत्य करते हैं, रस्सी की कला हिरेबीदानूर में अनोखी है और आग को लांघने का प्रदर्शन इन पांच दिनों में होता है.''</p> <p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें- <a title="Explained: कैसे बीजेपी के समर्थन से पहली बार बिहार में बनी थी नीतीश सरकार, कब कैसा रहा BJP-JDU का रिश्ता" href="https://ift.tt/0zyKZFA" target="_blank" rel="noopener">Explained: कैसे बीजेपी के समर्थन से पहली बार बिहार में बनी थी नीतीश सरकार, कब कैसा रहा BJP-JDU का रिश्ता</a></strong></p> TAG : imdia news,news of india,latest indian news,india breaking news,india,latest news,recent news,breaking news,news SOURCE : https://ift.tt/aSZbgJx