MASIGNASUKAv102
6510051498749449419

Independence Day 2022: जब गांधीजी के नेतृत्व में एकजुट हुआ पूरा देश, आजादी की लड़ाई का ऐतिहासिक संघर्ष था असहयोग आंदोलन

Independence Day 2022: जब गांधीजी के नेतृत्व में एकजुट हुआ पूरा देश, आजादी की लड़ाई का ऐतिहासिक संघर्ष था असहयोग आंदोलन
india breaking news
<p><strong>Non Cooperation Movement:</strong> अनगिनत कुर्बानियों और त्याग के बाद हमारे देश को 75 साल पहले वो महान क्षण नसीब हुआ था जब आजाद भारत का तिरंगा आसमान में पूरी शान से लहरा रहा था. अंग्रेजों से लंबे संघर्ष के बाद हमारे देश को आजादी मिली थी. जितना महत्व आजादी का है उतना ही उसके लिए किए गए महान संघर्ष का भी है.</p> <p>देश में लंबे समय तक अंग्रेज विरोधी आंदोलन चला,जिसने ब्रिटिश हुकूमत की चूलें हिला दीं. ऐसा ही एक आंदोलन था असहयोग आंदोलन. अपने इस आर्टिकल में हम आपको असहयोग आंदोलन के बारे में बताएंगे-</p> <p><strong>कैसे शुरू हुआ असहयोग आंदोलन-</strong></p> <p>1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद पूरे देश में अंग्रेजी सरकार के खिलाफ गुस्से का माहौल था. इसके अलावा 1919 में सरकार द्वारा लाए गए भारत शासन अधिनियम से भी लोग नाराज थे. इसी दौरान तुर्की के मुद्दे पर खिलाफत आंदोलन भी चल रहा था.</p> <p>ऐसे में महात्मा गांधी के नेतृत्व में अंग्रेजी हुकूमत का प्रतिरोध करने करने के लिए 1 अगस्त 1920 को असहयोग आंदोलन की शुरुआत हुई. खिलाफत आंदोलन को भी इस आंदोलन में समाहित कर दिया गया. इस तरह देश के मुसलमान भी बड़े पैमाने पर अंग्रेजों के विरोध में सड़कों पर उतर आए. यह पूरा आंदोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुआ.</p> <p><strong>आंदोलन में थी हर वर्ग की भागीदारी-</strong></p> <p>इस आंदोलन में देश के लगभग हर वर्ग ने हिस्सा लिया. मुसलमानों की व्यापक भागीदारी ने इसे प्रमुख रूप से जन आंदोलन बना दिया. पहली बार महिलाएँ बड़ी संख्या में इस आंदोलन में शामिल हुईं. महिलाओं ने आंदोलन को सुचारू रूप से चलाने के लिए अपने जेवर भी 'तिलक फंड' में दान किए. इस आंदोलन ने पूरे देश को एक सूत्र में बांध दिया.</p> <p>समाज का हर वर्ग किसान,मजदूर,शहरी,ग्रामीण,बुजुर्ग,बच्चे,युवा,व्यवसायी,नौकरीपेशा,महिलाएं सबकी इस आंदोलन में व्यापक भागीदारी थी. अगर सही मायनों में कहें तो यह 1857 के विद्रोह के बाद यह पहला ऐसा आंदोलन था जिसने अंग्रेजी सत्ता को पूरे देश में झकझोर कर रख दिया.</p> <p><strong>चौरी-चौरा कांड-</strong></p> <p>लंबे समय तक चले असहयोग आंदोलन को महात्मा गांधी ने ऐसे समय पर वापस लिया जब यह अपने चरम पर था. गोरखपुर में हुई हिंसक घटना के बाद आंदोलन को वापस ले लिया गया. यह 4 फरवरी 1922 को चौरी-चौरा में यह घटना हुई थी जिसमें भीड़ के द्वारा पुलिस थाने में आग लगा दी गई थी. हालांकि इस घटना से पहले पुलिस ने आंदोलनकारियों पर गोलीबारी की थी. महात्मा गांधी के आंदोलन में हिंसा का कोई स्थान नहीं था. यह उनके अहिंसा के सिद्धांतों के खिलाफ थी. इसलिए उन्होंने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया.</p> <p><a title="Independene Day 2022: अंग्रेजों की लाठी से हुए थे लहूलुहान, पिता से भी जताते थे असहमति, ऐसे थे आजादी के नायक नेहरू" href="https://ift.tt/FrxZ3V8" target="">ये भी पढ़ें- Independene Day 2022: अंग्रेजों की लाठी से हुए थे लहूलुहान, पिता से भी जताते थे असहमति, ऐसे थे आजादी के नायक नेहरू</a></p> <p><a title="Independence Day 2022: चन्द्रशेखर आजाद एक महान क्रांतिकारी, आंदोलन के निर्वात को अपने नेतृत्व से भरने वाले आजादी के नायक" href="https://ift.tt/ZFQu9hU" target="">Independence Day 2022: चन्द्रशेखर आजाद एक महान क्रांतिकारी, आंदोलन के निर्वात को अपने नेतृत्व से भरने वाले आजादी के नायक</a></p> TAG : imdia news,news of india,latest indian news,india breaking news,india,latest news,recent news,breaking news,news SOURCE : https://ift.tt/WZjGOKf

Related Post

Leave your opinion on it.
:)
:(
hihi
:-)
:D
=D
:-d
;(
;-(
@-)
:P
:o
-_-
(o)
[-(
:-?
(p)
:-s
(m)
8-)
:-t
:-b
b-(
:-#
=p~
$-)
(y)
(f)
x-)
(k)
(h)
(c)
cheer
(li)
(pl)