
<p style="text-align: justify;"><strong>Director Mahboob Khan Death:</strong> हिंदी सिनेमा में एक से बढ़कर एक जबरदस्त निर्देशक हुए. इसमे बिमल रॉय (Bimal Roy), वी.शांताराम (V.Shantaram), राज कपूर (Raj Kapoor), गुरु दत्त (Guru Dutt) और मदर इंडिया (Mother India) जैसी मील का पत्थर देने वाले महबूब खान का नाम शामिल है. महबूब खान को हिंदी फिल्मों का महान निर्देशक माना गया. उन्होंने अपने फिल्मी करियर में कभी ना भूलने वाली यादगार फिल्में बनाईं.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>महबूब खान की फिल्में</strong></p> <p style="text-align: justify;">9 सितंबर 1907 को जन्में महबूब खान ने 1935 में आई फिल्म जजमेंट ऑफ अल्लाह से अपने निर्देशन के करियर की शुरुआत की. इसके बाद उनकी कई फिल्में आईं, लेकिन फिल्म रोटी और औरत से उनके करियर को एक नई उड़ान मिली. फिर आई फिल्म अंदाज और अनमोल घड़ी, इन फिल्मों की सफलता ने जैसे महबूब खान रुतबा ही बदल दिया. इनकी गिनती बॉलीवुड के टॉप के फिल्म निर्देशकों में होने लगी. इसके बाद कमाल तो तब हो गया जब 1957 में आई फिल्म मदर इंडिया पूरे देश में छा गई. ये पहली फिल्म थी जो ऑस्कर में भी पहुंचीं.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>महबूब खान और नौशाद</strong></p> <p style="text-align: justify;">संगीतकार नौशाद और महबूब खान की जोड़ी ने सोलह साल तक एक साथ काम किया. इस जोड़ी ने फिल्म अनमोल घड़ी में पहली बार साथ काम किया था. इसके बाद नौशाद ने महबूब खान की आखिरी फिल्म सन ऑफ इंडिया तक उनके साथ काम किया. शुरू में जब दोनों साथ काम कर रहे थे तो महबूब खान ने कुछ गानों में बदलाव करने को कहा जो कि नौशाद को काफी बुरा लगा, लेकिन वो चुप रहे. इसके बाद नौशाद ने उन्हें कुछ दृश्यों को लेकर सलाह दी, जिससे वो नाराज हो गए. पर नौशाद की बात समझ गए और फिर उनके काम में दखल नहीं दिया.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>फिल्म सन ऑफ इंडिया के बाद निधन</strong></p> <p style="text-align: justify;">मदर इंडिया की सफलता के बाद महबूब खान ने साजिद खान के साथ फिल्म सन ऑफ इंडिया पर काम किया. इस फिल्म में भ्रष्टाचार और काले धन के मुद्दे को दिखाया गया. ये फिल्म भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को बहुत पसंद आई. महबूब खान ने उनके लिए फिल्म की खास स्क्रीनिंग भी करवाई थी. पंडित जवाहरलाल नेहरू, महबूब खान के दिल के काफी करीब थे. जब 27 मई 1964 को प्रधानमंत्री नेहरू की मृत्यु की खबर महबूब खान को मिली तो वो काफी दुखी हो गए थे. कहते हैं ये सदमा महबूब खान बर्दाश्त नहीं कर सके. पंडित नेहरू के निधन के अगले ही दिन दिल का दौरा पड़ने से उनकी भी मौत हो गई.</p> <p><strong><a title="Tabu On Her Wedding: जब शादी को लेकर तब्बू ने तोड़ी चुप्पी, बोलीं- अजय देवगन की वजह से मैं आज...." href="
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