
<p style="text-align: justify;"><strong>EPF Rate Cut:</strong> 2021-22 के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (Central Board Of Trustees) ने ईपीएफ रेट को घटाकर 8.1 फीसदी करने का फैसला लिया है जो 43 साल में सबसे न्यूनत्तम ईपीएफ रेट है. ट्रेड यूनियन से लेकर राजनीतिक दल ईपीएफ रेट घटाने के फैसले का जबरदस्त विरोध कर रहे हैं. ईपीएफ रेट में कटौती का बचाव करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में सफाई दी कि ईपीएफओ बोर्ड के फैसले पर वित्त मंत्रालय की मुहर लगनी बाकी है. लेकिन मौजूदा समय के वास्विकताओं पर आधारित है और ईपीएफ पर ब्याज दर निवेश की बाकी योजनाओं के मुकाबले सबसे ज्यादा है. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>ईपीएफ रेट में कटौती का सरकार ने किया बचाव</strong><br />श्रम मंत्रालय ने ईपीएफ रेट में कटौती के ब्याज अपने फैसले को बचान करने के लिए एक फैक्टशीट जारी किया है जिसमें बताया गया है कि किसी भी निवेश योजनाओं के मुकाबले ईपीएफ पर मिलने वाला ब्याज सबसे ज्यादा है साथ ही पोस्ट ऑफिस के सेविंग रेट के मुकाबले दोगुना है. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>महंगाई दर से ज्यादा मिल रहा ईपीएफ पर ब्याज</strong><br />श्रम मंत्रालय के मुताबिक 2012-13 और 2013-14 में खुदरा महंगाई दर (CPI) ईपीएफ रेट से ज्यादा था. 2012-13 में खुदरा महंगाई दर 9.90 फीसदी था ईपीएफ पर 8.50 फीसदी ब्याज मिल रहा था. 2013-14 में 9.40 फीसदी खुदरा महंगाई दर था जबकि 8.75 फीसदी ईपीएफ पर ब्याज मिल रहा था. इसका अर्थ ये हुआ कि ईपीएफ पर निवेशकों को नेगेटिव रिटर्न मिल रहा था. श्रम मंत्रालय ने बताया है कि 2014-15 के बाद से ईपीएफ पर मिलने वाला रियल रेट ऑफ इंटरेस्ट ( ब्याज दर) पॉजिटिव है क्योंकि ईपीएफ पर मिलने वाला ब्याज दर खुदरा महंगाई दर से ज्यादा रहा है. जिसका फायदा उपभोक्ताओं को मिलता रहा है. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>सरकार की दलील, ईपीएफ रेट घटी तो महंगाई भी कम हई</strong><br />श्रम मंत्रालय के फैक्टशीट के मुताबिक 2021-22 के लिए ईपीएफ रेट को 8.5 फीसदी से घटाकर 8.1 फीसदी कर दिया गया हैस वहीं इसी दौरान 2021-22 में अप्रैल से दिसंबर महीने के बीच खुदरा महंगाई दर 6.2 फीसदी से घटकर 5.2 फीसदी रहा है. </p> <p style="text-align: justify;">इस फैक्टशीट में अलग अलग निवेश की योजनाओं पर मिलने वाली ब्याज दरों की तुलना की गई है. जिसमें बताया गया है कि ईपीएफ पर बाकी योजनाओं से ज्यादा रिटर्न मिल रहा है जो इस प्रकार है. </p> <p style="text-align: justify;">एम्पलॉय प्राविडेंट फंड(EPF)-8.1%<br />सुकन्या समृद्धि योजना(SSY)-7.6%<br />वरिष्ठ नागरिक बचत योजना(SCSS)-7.4%<br />पीपीएफ(PPF)-7.1% <br />किसान विकास पत्र(KVP)-6.9% <br />नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट(NSC)-6.8%<br />एसबीआई एफडी - 6.7%<br />पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट(POSB)-4%</p> <p style="text-align: justify;"><strong>ईपीएफ निवेश बचत का बड़ा जरिया</strong><br />बहरहाल ये भी सच है कि 6 करोड़ लोगों के लिए ईपीएफ एक निवेश बचत का सबसे बड़ा जरिया है जो उनके बुढ़ापे में काम आता है. सामाजिक सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण योजना है. खुदरा महंगाई दर कम होने की दलील दी जा रही है लेकिन जिस तरह पेट्रोल डीजल रसोई गैस के दाम बढ़ रहे हैं उसके चलते बाकी चीजें भी महंगी हो रही है जाहिर है इसका असर ईपीएफ में निवेश करने वालों की जेब पर जरुर पड़ेगा. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें </strong></p> <p style="text-align: justify;"><strong><a title="Paytm Share: पेटीएम के शेयर में 75 फीसदी की गिरावट के बाद कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज के नोटिस के जवाब में दी ये सफाई" href="
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